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फीलिंग माइंड्स ने रिलेशनशिप कंसल्टेंट वर्कशॉप का किया आयोजन, डॉ. चिनू अग्रवाल ने दिए कुछ जरूरी टिप्स
भारत में अक्सर रिश्तों को लेकर लोग बात करने से कतराते हैं। इसके फलस्वरूप कई बार उनमें कड़वाहट पैदा होने लगती है। यह कड़वाहट इस हद तक पहुंच जाती है कि लोग रिश्ता तोड़ने को ही समझदारी मानने लगते हैं। इन सभी स्थितियों को देखते हुए फीलिंग माइंड्स संस्था ने भारत में रिश्तों को लेकर काफी लंबे समय तक शोध किया। इसके परिणामस्वरूप एक ऐसा वर्कशॉप डिजाइन किया जिसके जरिए रिलेशनशिप में आने वाली समस्याओं को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
फीलिंग माइंड्स एक मनोवैज्ञानिक परामर्श और मनोविज्ञान-आधारित प्रशिक्षण की संस्था है। जिसने हाल ही में रिलेशनशिप कंसल्टेंट वर्कशॉप का आयोजन किया था। तकरीबन 6 महीने तक चलने वाले इस वर्कशॉप में काफी लोगों ने हिस्सा लिया और अपने निजी जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढ कर उसे ठीक करने की ओर कार्य किया। कार्यशाला के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी दिया गया। इस कोर्स में रोल-प्ले, सुपरवाइज्ड पीयर काउंसलिंग सेशन और रिलेशनशिप के नजरिए से फिल्मों और किताबों का आंकलन जैसे कई विधाएं और तकनीकों का ज्ञान दिया गया था।
फीलिंग माइंड्स की निदेशक डॉ. चिनू अग्रवाल ने कार्यशाला की योजना के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि " रिलेशनशिप काउंसलिंग के लिए भारत में अभी तक कोई अच्छी ट्रेनिंग उपलब्ध नही हैं। बहुत से लोगों ने कहा कि इस पर आपको कोई कोर्स बनाना चाहिए, लेकिन ये आसान नहीं था। मैंने रिलेशनशिप के ऊपर जो भी पढ़ाई की है वह विदेशों से की है। तो जो सभी विधाएं अभी है वह विदेशों के लिए ज्यादा कारगर है। भारत में जहां 1% तालाक का दर है वहीं विदेशों में यह 50% तक है। इसका मतलब ये तो नहीं की भारत में रिश्ते काफी अच्छे। यहां भी रिश्तों में काफी दुख है। तकरीबन 4 साल तक हमारी संस्था फीलिंग माइंड्स ने भारतीय लोगों पर शोध किया। इन सभी विधाओं का वैज्ञानिक, साक्ष्य-आधारित, टूल्स और तकनीक का भारतीयकरण कर उसे अनुकूलित बनाने के बाद रिलेशनशिप कंसल्टेंट वर्कशॉप का आयोजन किया।"
डॉ ऋचा सिंह ने बताया कि "जैसे एक इंसान बीमार होता है वैसे ही रिश्ता भी बीमार हो सकता है। इस प्रोग्राम के द्वारा मैंने सीखा की कैसे इस बीमारी का निदान किया जाए। हमने कई तकनीकों और तरीकों को सिखा जिसके जरिए इसकी वजह से बारे में जान सकें। इसके साथ ही यह भी सिखा की इसे ठीक कैसे किया जा सकता है।"
कार्यशाला में पहुंची डॉ बिंदु कपूर ने कहा कि- "इस प्रोग्राम के दौरान मैंने अपने पर्सनल लाइफ में भी काफी बदलाव देखें हैं और अपनी पर्सनल रिलेशनशिप पर भी मैंने काफी काम किया है।"
कार्यशाला में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया जिनमें- दिल्ली की अंबिका वारियर, डॉ तृप्ति सखुजा, डॉ बिंदु कपूर, डॉ ऋचा सिंह, साई सुधा, गुवाहाटी की अरुणा,डिब्रूगढ़ से नंदिता सरमा, लुधियाना से आकृति सेठी,अमरावती से निमिशा साबू, निधि अग्रवाल,आशीष अग्रवाल, यवतमाल से सुरुचि खरे, मुंबई से प्रतीक्षा त्रिपाठी, गुड़गांव से मेघा जैन, त्यान जैन और आगरा से रवींद्र जिंदल थे।
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