अपडेटेड 15 July 2025 at 22:00 IST

Shubhanshu Shukla: शुभांशु ने अंतरिक्ष में 18 दिनों तक कौन-कौन से प्रयोग किए, भारत के मिशन गगनयान-2027 के लिए ये कितना अहम?

शुभांशु शुक्ला की ISS से वापसी हो गई। आइए जानते हैं कि उन्होंने अंतरिक्ष में 18 दिनों तक कौन-कौन से प्रयोग किए और भारत के मिशन गगनयान-2027 के लिए ये कितना अहम?

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला | Image: Nasa/AP

शुभांशु शुक्ला 18 दिनों के बाद ISS से सकुशल वापस आ चुके हैं। एक्स-4 क्रू टीम अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से लगभग 23 घंटे की यात्रा के बाद पृथ्वी पर लौट आया।उनका स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल, जिसका उपनाम ग्रेस है, 15 जुलाई 2025 को दोपहर लगभग 3:01 IST पर सैन डिएगो के पास प्रशांत महासागर में उतरा। आइए जानते हैं कि बीते 18 दिनों में शुभांशु शुक्ला ने ISS में क्या-क्या किया।

18 दिनों तक चले इस मिशन में शुभांशु ने कई एक्टिविटी में हिस्सा लिया। उन्होंने करीब 60 एक्सपेरिमेंट किए। इनमें से 7 प्रयोग ऐसे थे, जो ISRO ने डिजाइन किया था। कहा जा रहा है कि शुभांशु ने इसरो के जिन डिजाइन पर प्रयोग किया, उससे आने वाले समय में गगनयान और चंदमा मिशन में काम लिया जा सकेगा।

इसरो के इन 7 डिजाइन पर शुभांशु ने किया प्रयोग

शुभांशु ने मायोजेनेसिस, टार्डिग्रेड्स, बीज अंकुरण, साइनोबैक्टीरिया, माइक्रोएल्गे, क्रॉप सीड्स, वॉयेजर डिस्प्ले प्रयोगों पर काम किया। मायोजेनेसिस में माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों के नुकसान को लेकर स्टडी किया जाता है। टार्डिग्रेड्स में छोटे माइक्रो जानवरों का अध्ययन किया जाता है। ये ऐसे जानवर होते हैं, जो विषम परिस्थितियों में भी जिंदा रह सकते हैं।

बीज अंकुरण में शुभांशु ने मेथी और मूंग जैसे बीजों पर स्टडी किया। यह जानने की कोशिश की है कि अंतरिक्ष में इन बीजों को अंकिरित किया जा सकता है या नहीं। उन्होंने इन बीजों के जेनेटिक्स, माइक्रोबियल बदलाव को लेकर गहन अध्ययन किया।

लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए अध्ययन जरूरी

साइनोबैक्टीरिया के प्रयोग में उन्होंने जल बैक्टीरिया की वृद्धि और एक्टिविटी को लेकर जानकारी ली जाती है। मााइक्रोएल्गे में स्पेस में भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल को लेकर गहन अध्ययन किया जाता है। ताकि इससे आगामी किसी भी अंतरिक्ष मिशन में मदद मिल सके। वहीं क्रॉप सीड्स में शुभांशु ने 6 तरह के फसलों के बीजों को लेकर स्टडी की है कि इन फसलों के बीजों को अंतरिक्ष में किस तरह से बढ़ाया जा सकता है। वॉयेजर डिस्प्ले में कंप्यूटर के स्क्रीन का अध्ययन किया गया। ताकि ये पता लगाया जा सके कि माइक्रोग्रैविटी में कंप्यूटर स्क्रिन का मनुष्य के आंखों और दिमागपर क्या असर पड़ता है। बता दें, ये जो अध्ययन शुभांशु शुक्ला ने स्पेस में किया है, इसका इस्तेमाल आनेवाले समय में भारत के गगनयान मिशन 2027 में किया जा सकेगा।

इसे भी पढ़ें: कौन हैं भारतीय गायिका जिनकी आवाज लाखों किलोमीटर दूर आज भी अंतरिक्ष में गूंज रही है, एलियन भी सुनते हैं वो गीत?

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 15 July 2025 at 22:00 IST