अपडेटेड 29 March 2023 at 20:04 IST
Google Fine: गूगल पर 1,337 करोड़ रुपये के जुर्माने का फैसला बरकरार, NCLAT ने नहीं मानी दलील
Chairperson Ashok Bhushan और सदस्य आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में हम जुर्माने के निर्णय को बरकरार रख रहे हैं, गूगल को 30 दिन का समय दिया है।
National Company Law Appellate Tribunal : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने बुधवार को गूगल के मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के जुर्माने के फैसले को बरकरार रखा। आयोग ने प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ ने प्रतिस्पर्धा आयोग के निर्णय में कुछ सुधार करते हुए गूगल को निर्देशों का पालन करने और जुर्माना राशि तीस दिन के भीतर जमा करने को कहा है।
एनसीएलएटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, ‘‘हम जुर्माने के निर्णय को बरकरार रख रहे हैं...अपीलकर्ता (गूगल) को चार जनवरी के उसके आदेश के तहत पहले से जमा 10 प्रतिशत राशि समायोजित करने के बाद जुर्माना राशि तीस दिन के भीतर जमा करने की अनुमति है।’’ पीठ ने प्रतिस्पर्धा आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे क्रियान्वित करने के लिये गूगल को 30 दिन का समय दिया है। साथ ही आयोग के 20 अक्टूबर, 2022 को जारी आदेश में कुछ संशोधन भी किये हैं।
प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश में जो सुधार किये गये हैं, उसमें गूगल सुइट सॉफ्टवेयर को हटाने के लिये अनुमति से संबंधित कुछ हिस्सा शामिल है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने गूगल की इस अपील को खारिज कर दिया कि प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच में प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया है। इस बारे में गूगल को ई-मेल भेजकर टिप्पणी मांगी गयी, लेकिन उसने कुछ भी कहने से मना कर दिया। उल्लेखनीय है कि सीसीआई ने पिछले साल 20 अक्टूबर को गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 1,337.6 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। नियामक ने कंपनी को अनुचित व्यापार गतिविधियों से बचने और दूर रहने को भी कहा था।
प्रतिस्पर्धा आयोग के इस आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी गयी थी। गूगल ने अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रतिस्पर्धा आयोग की उसके खिलाफ जांच ‘निष्पक्ष’ नहीं थी। जिन दो लोगों की शिकायत पर आयोग ने जांच शुरू की थी, वे उसी कार्यालय में काम कर रहे थे जो गूगल की जांच कर रहा था। कंपनी की दलील के अनुसार, सीसीआई भारतीय उपयोगकर्ताओं, ऐप विकसित करने वालों के सबूतों की अनदेखी करते हुए ‘निष्पक्ष, संतुलित और कानूनी रूप से ठोस जांच’ करने में विफल रहा।
वहीं अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के समक्ष प्रतिस्पर्धा आयोग की तरफ से दलीलों को पूरा करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमण ने कहा था कि सभी इकाइयों के लिये खुली छूट की व्यवस्था मुक्त प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत के अनुरूप होगी। प्रौद्योगिकी कंपनी का ‘चारदिवारी से घिरे एकाधिकार’ वाला रुख सही नहीं है।
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उन्होंने कहा था कि गूगल ने अपने लाभ कमाने वाले सर्च इंजन को ‘किले’ और बाकी अन्य ऐप को ‘खाई’ की रक्षात्मक भूमिका निभाने के लिये इस्तेमाल किया था। यह ‘किला’ और ‘खाई’ की रणनीति कुछ और नहीं बल्कि डेटा के क्षेत्र में दबदबा स्थापित करने जैसा है। इसका मतलब है कि एक बड़ी कंपनी बाजार और बड़ी होती जाती है जबकि छोटी और नई इकाई बाजार में टिके रहने के लिये संघर्ष करती है।एनसीएलएटी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद एंड्रॉयड मामले में सुनवाई 15 फरवरी को शुरू की। शीर्ष अदालत ने अपीलीय न्यायाधिकरण को 31 मार्च तक अपील पर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था।
Published By : Press Trust of India (भाषा)
पब्लिश्ड 29 March 2023 at 20:01 IST