अपडेटेड 29 November 2025 at 13:01 IST
इंटरनेट की झंझट से मिलेगा छुटकारा! फ्री में देख पाएंगे लाइव टीवी, जानिए कैसे
D2M Technology: अब इंटरनेट का झंझट खत्म हो सकती है। D2M टेक्निक भारत में जल्द शुरू होने वाली है जिसके जरिये मोबाइल फोन पर मल्टीमीडिया कंटेंट पहुंचेगा।
D2M Technology: फोन पर बॉलीवुड फिल्में, टीवी शो और लाइव स्पोर्ट्स देखने के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। जिस तरह आप बिना इंटरनेट के घर पर टीवी चैनलों का आनंद लेते हैं, ठीक वैसे ही मोबाइल फोन पर भी ले सकेंगे। ये डायरेक्ट टू मोबाइल यानी डी2एम टेक्नोलॉजी से संभव होगा।
Direct-to-Mobile (D2M) टेक्निक मोबाइल फोन पर सीधे सैटेलाइट और ब्रॉडकास्ट टावर से सिग्नल भेजती है। इसका मतलब ये है कि वीडियो देखने के लिए मोबाइल डेटा और वाई-फाई की जरूरत नहीं है। ऐसे में यह टेक्निक वीक नेटवर्क और महंगे इंटरनेट इलाकों में फायदेमंद साबित होगी।
D2M टेक्नॉलोजी के बारे में
संचार मंत्रालय ने D2M के कई खास फीचर्स बताए हैं। D2M तकनीक मोबाइल फोन पर मल्टीमीडिया कंटेंट पहुंचाती है। ये तकनीक मोबाइल के लिए ही बनी है और बिना किसी रुकावट के कंटेंट पहुंचाती है। ये हाइब्रिड ब्रॉडकास्टिंग है। यानी यह टेक्नोलॉजी रियल-टाइम और ऑन-डिमांड कंटेंट भी देने में सक्षम है। यह सुविधा 1,000 से 2,000 रुपये तक वाले फीचर फोन में मिलेगी। D2M टेक्निक से मोबाइल एक टीवी की तरह काम करेगा।
इतने करोड़ रुपये का आएगा खर्च
HMD और Lava भारत में सैटेलाइट कनेक्टिविटी वाला फीचर फोन बना रहे हैं। इसकी कीमत करीब 2,000 से 2,500 के बीच होगी। इसके लिए फोन्स में Saankhya Labs के चिपसेट का इस्तेमाल किया जाएगा। यह टेक्निक पूरे भारत में लागू होगी।
शुरुआत में, प्रसार भारती का कंटेंट इन डिवाइस पर स्ट्रीम किया जाएगा। खबर है कि फ्यूचर में D2M टेक्निक को स्मार्टफोन से भी जोड़ा जा सकता है। सांख्य लैब्स पिछले साल तेजस नेटवर्क्स के साथ मर्ज हो चुका है। ये टेक्नोलॉजी डी2एच की तरह है।
शुरु हो चुके हैं ट्रायल
दिल्ली और बेंगलुरु में इस टेक्नोलॉजी के ट्रायल पहले ही किए जा चुके हैं। अगले छह से नौ महीनों में करीब 36 शहरों में इसे टेस्ट करने का प्लान है। प्लानिंग के मुताबिक सबुकछ रहा तो इसके बाद इस टेक्नोलॉजी को पूरे देश में रोल आउट किया जा सकता है।
D2M टेक्निक के फायदे
इसके जरिये सरकार जरूरी घोषणाएं, मौसम अलर्ट, इमरजेंसी अलर्ट और पब्लिक अनाउंसमेंट भी भेज सकती है। यह तकनीक ग्रामीणों और दूरदराज के इलाकों में लाखों और लोगों से जुड़ने में मददगार साबित होगी। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि पूरे भारत में D2M नेटवर्क फैलाने के लिए लगभग 8,000 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है। लेकिन टेलीकॉम कंपनियां इस टेक्निक के विरोध में हैं। क्योंकि इससे उनके डेटा पैक की बिक्री को नुकसान पहुंच सकता है।
IIT कानपुर ने 2022 में जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि मौजूदा मोबाइल डिवाइस D2M टेक्निक को सपोर्ट नहीं करते हैं। इन डिवाइस को कंपैटिबल बनाने के लिए एक अलग बेसबैंड प्रोसेसिंग यूनिट की जरूरत होगी। साथ ही एक एंटीना, लो-नॉइज एम्पलीफायर, बेसबैंड फिल्टर और एक रिसीवर की भी आवश्यकता होगी।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 29 November 2025 at 13:01 IST