अपडेटेड 23 March 2025 at 21:10 IST
जसप्रीत कौर ने पावरलिफ्टिंग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा, शीतल ने पायल को हराकर स्वर्ण पदक जीता
पंजाब की पावरलिफ्टर जसप्रीत कौर को 3 साल की उम्र में पोलियो हो गया था। उन्होंने खेलो इंडिया पैरा खेलों में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण पदक जीता है।
नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) पंजाब की पावरलिफ्टर जसप्रीत कौर ने रविवार को यहां खेलो इंडिया पैरा खेलों (केआईपीजी) के चौथे दिन 45 किग्रा वर्ग में अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण पदक जीता और दो ‘विशेष’ तीरंदाज शीतल देवी और पायल नाग के साथ सुर्खियां बटोरीं। चौथे दिन तमिलनाडु 22 स्वर्ण पदक के साथ तालिका में शीर्ष पर है। हरियाणा 18 स्वर्ण पदक से दूसरे स्थान पर है जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के 13-13 स्वर्ण पदक हैं। कौर (31 वर्ष) ने 101 किग्रा भार उठाकर केआईपीजी 2025 में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने वाली पहली एथलीट बन गईं। कौर ने 2023 चरण में भी इसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने अपना ही पिछला 100 किग्रा का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा।
उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) मीडिया से कहा, ‘‘मैं इस बार और भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहती थी। राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने से मुझे राष्ट्रीय रैंकिंग में ऊपर चढ़ने में भी मदद मिली है। ’’ दो साल से भी कम समय में 16 किग्रा अधिक भार उठाना कोई आसान उपलब्धि नहीं थी। कौर ने कड़ी ट्रेनिंग की, विभिन्न नयी तकनीकों पर काम किया और फिटनेस बनाए रखने के लिए अपने आहार में बदलाव किए। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती तनाव के मुद्दों से निपटना था।
बचपन में हो गया था पोलियो
कौर को तीन साल की उम्र में पोलियो हो गया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया। इसलिए, मुझे हमेशा लगा कि मैं इस खेल में नयी हूं। मुझे यह महसूस करने में थोड़ा समय लगा कि ताकत और मांसपेशियों को विकसित करने में समय लगेगा। यह रातोंरात नहीं होता है। मुझे ऐसा प्रदर्शन करने में तीन साल लग गए। ’’ वहीं जम्मू-कश्मीर की बिना हाथ की तीरंदाज और पैरालंपिक पदक विजेता शीतल देवी ने बहुप्रतीक्षित मुकाबले में ओडिशा की दिव्यांग (बिना हाथ, बिना पैर की तीरंदाज) पायल नाग को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में दोनों युवाओं के बीच मुकाबले में गत विजेता शीतल ने वापसी करते हुए खेलों का अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता। 18 वर्षीय शीतल ने कंपाउंडडनरी ओपन फाइनल मैच में 17 वर्षीय पायल के खिलाफ 109-103 से जीत दर्ज की। पायल के दोनों हाथ और दोनों पैर नहीं हैं। वह बचपन में बिजली का झटका लगने के कारण अपने हाथ-पैर खो बैठी थीं और वह कृत्रिम पैरों से निशाना लगाती हैं। राकेश कुमार (40 वर्ष) और ज्योति बालियान (30 वर्ष) ने भी अपने-अपने मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीते।ॉ
शीतल ने स्वर्ण पदक जीता
झारखंड के विजय सुंडी ने हरियाणा के विकास भाकर को पुरुष रिकर्व ओपन स्वर्ण पदक मैच में 6-4 से हराया जबकि हरियाणा की पूजा ने महाराष्ट्र की राजश्री राठौड़ को 6-4 से हराकर महिला रिकर्व ओपन स्वर्ण पदक जीता। सभी की निगाहें शीतल और पायल के बीच महिलाओं के कंपाउंड स्वर्ण पदक मैच पर थीं। शीतल ने आठ और सात के स्कोर के साथ शुरुआत की जबकि पायल ने डबल 10 के साथ शुरुआत की। हालांकि पायल तीसरे दौर में बढ़त खो बैठीं, जहां उन्होंने पहली बार सात का स्कोर बनाया और शीतल ने नौ और 10 के अपने लगातार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर वापसी की।
निर्णायक पांचवें दौर में शीतल ने स्वर्ण पदक जीता। शीतल ने साइ मीडिया से कहा, ‘‘पायल फाइनल में बहुत अच्छा खेली और अपनी निरंतर मेहनत से वह जल्द ही भारत के लिए पदक जीतेगी। मैं माता रानी के आशीर्वाद के लिए आभारी हूं कि मैंने खेलो इंडिया पैरा खेल में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता। ’’
पायल ने अपने पहले खेलो इंडिया पैरा खेल में खेल के तकनीकी पहलुओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘‘पहले मैं अपने कृत्रिम पैरों में दो उपकरणों के साथ तीर चलाती थी, लेकिन अब मैं सिर्फ एक पैर से तीर चलाती हूं। इससे तालमेल बिठाने में समस्या थी, लेकिन मैं असुविधा के बावजूद फाइनल में पहुंच गई और आज बहुत तेज हवा चल रही थी। लेकिन मैं फाइनल में प्रतिस्पर्धा करके और रजत पदक जीतकर खुश हूं। ’’
पुरुषों के कंपाउंड ओपन स्वर्ण पदक मैच में राजस्थान के श्याम सुंदर स्वामी ने छत्तीसगढ़ के तोमन कुमार को कड़ी टक्कर देते हुए 140-139 से हराया। कांस्य पदक मैचों में राकेश कुमार ने अपनी निरंतरता का परिचय देते हुए हरियाणा के परमेंद्र को 143-140 से हराया। ज्योति बालियान ने दिल्ली की लालपति को 136-132 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। राजस्थान के धन्ना गोदारा और झारखंड की सुकृति सिंह ने क्रमश: पुरुषों और महिलाओं के रिकर्व ओपन कांस्य पदक जीते।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 23 March 2025 at 21:10 IST