अपडेटेड 8 July 2024 at 22:21 IST

Football: एआईएफएफ अध्यक्ष चौबे ने स्टिमक के अनुबंध में विस्तार पर प्रभाकरन के दावे को खारिज किया

AIFF के पूर्व महासचिव प्रभाकरन ने दावा किया कि पूर्व राष्ट्रीय मुख्य कोच स्टिमक के साथ अनुबंध विस्तार को अध्यक्ष कल्याण चौबे ने स्वीकृति दी थी, चौबे ने नकारा।

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AIFF responds to Igor Stimac | Image: AP

Football: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के पूर्व महासचिव शाजी प्रभाकरन ने सोमवार को दावा किया कि पूर्व राष्ट्रीय मुख्य कोच इगोर स्टिमक के साथ अनुबंध तोड़ने के नियम की गैरमौजूदगी वाले अनुबंध विस्तार को अध्यक्ष कल्याण चौबे ने ‘स्वीकृति’ दी थी। चौबे ने हालांकि इस दावे को ‘पूरी तरह से झूठ’ करार दिया ।

एआईएफएफ कार्यकारी समिति के सदस्यों और सदस्य संघों के शीर्ष अधिकारियों को लिखे पत्र में प्रभाकरन ने कहा कि ‘अनुबंध पर तभी हस्ताक्षर किए गए जब उन्होंने (चौबे ने) इसे मंजूरी दी।’

प्रभाकरन का यह दावा 20 जुलाई को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति की बैठक से कुछ दिन पहले आया है जिसमें पिछले महीने स्टिमक की बर्खास्तगी के नतीजों पर चर्चा की जाएगी। ‘अनुबंध नियम जिसे कल्याण चौबे ने पहले मंजूरी दी और बाद में इनकार किया’ शीर्षक के साथ लिखे पत्र में प्रभाकरन ने कहा, ‘‘चौबे के दावों के विपरीत उन्हें प्रत्येक चरण में अपडेट किया गया था और अनुबंध पर तभी हस्ताक्षर किए गए जब उन्होंने इसे मंजूरी दी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खुद पर ऊंगली उठाने की जगह दूसरों को दोष देना उनकी एक स्थायी आदत बन गई है।’’ प्रभाकरन ने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि सितंबर 2022 में जब विस्तार दिया गया था तब ही अनुबंध तोड़ने के नियम को संशोधित किया गया था। समझौते की एक प्रति उनके पास है लेकिन वह सार्वजनिक बयान जारी करने से पहले हमेशा इसे पढ़ने में विफल रहते हैं।’’ चौबे ने हालांकि पीटीआई को बताया कि जब अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए (पांच अक्टूबर 2023 को) तब वह चीन (हांगझोउ एशियाई खेलों के लिए) में थे और उन्हें अंधेरे में रखा गया।

उन्होंने कहा, ‘‘स्टिमक का अनुबंध विस्तार मेरी अनुपस्थिति में पूरा हुआ और उस पर हस्ताक्षर किए गए। इसलिए वह (प्रभाकरन) जो कह रहे थे (पत्र में) वह पूरी तरह से झूठ है।’’ चौबे ने कहा, ‘‘वह अब पत्र लिख रहे हैं क्योंकि एआईएफएफ कार्यकारी समिति बैठक में स्टिमक की बर्खास्तगी के नतीजों पर चर्चा करने जा रही है।’’ प्रभाकरन को नवंबर 2023 में ‘विश्वासघात’ के लिए एआईएफएफ महासचिव के पद से बर्खास्त कर दिया गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुरू में उनके निष्कासन पर रोक लगा दी थी लेकिन बाद में एआईएफएफ कार्यकारी समिति को उन्हें बर्खास्त करने की स्वतंत्रता दे दी। मामला अभी लंबित है और इस महीने के अंत में सुनवाई होनी है। पत्र में प्रभाकरन ने आगे लिखा, ‘‘मुख्य कोच को पहला विस्तार तकनीकी समिति और कार्यकारी समिति के निर्णय के आधार पर दिया गया था और इसकी के अनुसार संशोधित नियमों के साथ विस्तारित अनुबंध का मसौदा तैयार किया गया था।’’

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Published By : Shubhamvada Pandey

पब्लिश्ड 8 July 2024 at 22:21 IST