अपडेटेड 23 November 2024 at 20:11 IST
जायसवाल ने यूं ही नहीं बैठाया पर्थ की पिच से सामंजस्य, 2 दिनों में इतने ओवर किया अभ्यास
पहली पारी में जल्दी आउट होने के बाद भारत के युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में BGT के दूसरे टेस्ट में शानदार वापसी की है।
AUS v IND: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की बॉर्डर गावस्कर श्रृंखला के शुरुआती मैच की दूसरी पारी में संयमित बल्लेबाजी कर नाबाद 90 रन की पारी खेलने वाले युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने पर्थ की तेज गेंदबाजों की मददगार पिच से सामंजस्य बैठाने के लिए कड़ा अभ्यास किया जिसमें दो दिनों में लगभग 200 ओवर की बल्लेबाजी अभ्यास शामिल है।
जायसवाल ने IPL में राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेट निदेशक जुबिन भरूचा की देखरेख में बल्लेबाजी में काफी सुधार किया है। वो कोरोना महामारी के दौरान महाराष्ट्र के तालेगांव स्थित भरूचा की अकादमी में अभ्यास करते थे।
न्यूजीलैंड श्रृंखला में स्पिनरों की मददगार पिच पर खेलने के बाद ऑस्ट्रेलिया की तेज और उछाल वाली पिचों से सामंजस्य बिठाने के लिए जायसवाल के पास काफी कम समय था। वह इस तैयारी के लिए दो दिनों तक अपने घर के निकट ठाणे स्टेडियम में रूके रहे और वहां थ्रो डाउन’ पर लगभग 200 ओवरों तक बल्लेबाजी अभ्यास किया। उन्होंने कंक्रीट के स्लैब को 45 डिग्री के कोण पर रख कर लगभग 145 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाली गेंदों पर अभ्यास किया।
इस दौरान गेंदें को उनके शरीर के साथ ऑफ स्टंप को निशाना बना कर डाली गई।
IPL के मेगा ऑक्शन के लिए जेद्दा में मौजूद भरूचा ने पीटीआई से कहा-
उनके पास समय कम था इसलिए उन्होंने ठाणे स्टेडियम में अभ्यास किया। उन्होंने अभ्यास में हलकी गेंदों का इस्तेमाल किया क्योंकि वह तेजी से निकलती है। कंक्रीट स्लैब को ‘गुथ लेंथ’ से थोड़ा पीछे रखा गया था। ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले उन्हें दो दिनों में लगभग 200 ओवरों तक बल्लेबाजी अभ्यास की।
भरूचा से जब पूछा गया कि वह एक दिन में लगभग 100 ओवर तक बल्लेबाजी कैसे कर पाये तो उन्होंने कहा-
अभ्यास के दौरान दो गेंदों के बीच में काफी कम समय था। गेंदें बिना रुके एक के बाद एक डाली जा रही थी ऐसे में हमने थोड़ा विश्राम करने के साथ लगभग ढाई घंटे में ऐसा कर लिया।
अतीत में ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले भारतीय खिलाड़ी कंक्रीट की पिच पर 15 गज की दूरी से की जाने वाली गेंदबाजी का सामना करते थे लेकिन समय के साथ इसमें काफी बदलाव आया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ सामान्य पिच जैसी उछाल टर्फ पिच पर हासिल करना मुश्किल है। इस लिये कंक्रीट स्लैब का इस्तेमाल ऐसे किया गया और उसे तरह से रखा गया जिससे अनियमित उछाल मिले। इस दौरान हमने सिंथेटिक गेंदों का प्रयोग किया था जो अधिक तेज गति से निकलती है।’’
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : DINESH BEDI
पब्लिश्ड 23 November 2024 at 20:11 IST