अपडेटेड 4 January 2025 at 13:00 IST

Virat Kohli: ऑस्ट्रेलिया ने बिछाया एक ही जाल, 8 बार शिकार हुए कोहली, सचिन से तुलना बेईमानी!

साल नया, लेकिन कहानी पुरानी। ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद के साथ छेड़छाड़ और विराट कोहली आउट। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में कोहली लगातार इसी फॉर्मूले से आउट हुए।

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एक ही जाल में 8 बार फंसे विराट कोहली | Image: x

Sydney: हिंदी में एक मशहूर कहावत है, 'शिकारी आएगा... जाल बिछाएगा, मगर तुम उस जाल में फंस मत जाना।' लेकिन टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ( Virat Kohli ) के साथ इस समय इसका बिल्कुल उल्टा हो रहा है। शिकारी आ रहा है, एक ही जाल बार-बार बिछा रहा है और वो इसमें बड़े आराम से फंस भी जा रहे हैं। जी हां, साल नया, लेकिन कहानी वही पुरानी। ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद के साथ छेड़छाड़ और विराट कोहली आउट। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में कोहली लगातार इसी फॉर्मूले से आउट हुए। 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजमेंट को उनके लिए कुछ अलग प्लान बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ी।

ऐसा नहीं है कि विराट कोहली के साथ ऐसा पहले नहीं हुआ। याद कीजिए 2014 का वो इंग्लैंड दौरा जब वो जेम्स एंडरसन की गेंदों के आगे नाचते दिखे थे। दुनिया के सामने उनकी यही कमजोरी एक्सपोज हो गई थी। लेकिन, उसी साल भारत ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था और 4 मैचों की टेस्ट सीरीज में कोहली ने 4 शतक ठोककर सनसनी मचा दी थी। इस सीरीज से पहले ऑस्ट्रेलिया में विराट कोहली का रिकॉर्ड शानदार था, लेकिन अब उनपर एक ऐसा दाग लगा है जिसे मिटाना उनके लिए बहुत मुश्किल है।

एक ही जाल, 8वीं बार हुए शिकार

इसमें कहीं से दो राय नहीं है कि टेस्ट क्रिकेट में ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर बल्लेबाज संघर्ष करते हैं, लेकिन सवाल ये है कि कितनी बार? अगर 5 मैचों की सीरीज में आप 8 बार इसी जाल में फंसे और आपका नाम विराट कोहली है, तो ये बहुत चिंता की बात है। पर्थ की दूसरी पारी में लगाए गए शतक को छोड़ दें तो इस शृंखला में कभी ऐसा नहीं लगा कि विराट कोहली संघर्ष नहीं कर रहे हैं। ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद उनके लिए काल साबित हो रही है। ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज स्कॉट बोलैंड ने उन्हें इस सीरीज में 5वीं बार इसी जाल में फंसाया।

सचिन से तुलना क्यों होगी बेईमानी?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विराट कोहली एक महान बल्लेबाज हैं। भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यही कारण है कि उनकी तुलना 'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर से होती है, लेकिन क्या है तुलना सही है? अगर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में विराट कोहली ने जो किया है, उसको देखते हुए कहें तो बिल्कुल नहीं।

ऐसा नहीं है कि उनके बल्ले से रन नहीं निकल रहे इसलिए हम ये बात बोल रहे हैं। बात फॉर्म की नहीं, आउट होने के तरीके की है और एक ही गलती को रीपीट मोड में डालने की है। 2003 में सचिन तेंदुलकर भी खराब फॉर्म से गुजर रहे थे। ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर वो आउट हो रहे थे। फिर सिडनी टेस्ट में उन्होंने एक संकल्प लिया कि वो ऑफ स्टंप से बाहर की गेंदों को टच नहीं करेंगे, उन्होंने अपने फेवरेट कवर ड्राइव को उस इनिंग में त्याग दिया। महान सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 241 रन बनाए। सचिन की तरह विराट कोहली में रनों की भूख तो है, लेकिन रनों का सूखा पड़ने के बाद अपनी गलती को पहचान कर उससे बाहर निकलने में वो लगातार मात खा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में विराट कोहली ने 9 पारियों में 23.75 की औसत से सिर्फ 190 रन बनाए हैं। पर्थ के शतक को छोड़ दें तो उनके बल्ले से 8 इनिंग में 90 रन निकले हैं।

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 4 January 2025 at 12:44 IST