अपडेटेड 16 February 2024 at 20:47 IST

पिता करगिल वॉर के हीरो, मां ने बेचे गहने; टेस्ट डेब्यू करने वाले Dhruv Jurel के संघर्ष की कहानी

भारत-इंग्लैंड के तीसरे टेस्ट मैच के बीच सिर्फ सरफराज खान के चर्चे हैं, लेकिन उनके साथ एक और खिलाड़ी Dhruv Jurel ने भी डेब्यू किया है और उनकी कहानी भी शानदार है।

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टेस्ट डेब्यू करने वाले भारतीय क्रिकेटर ध्रुव जुरेल | Image: BCCI/INSTAGRAM@dhruvjurel

The story of the Struggle of Test debutant Dhruv Jurel: भारत और इंग्लैंड (Ind vs Eng) के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज (Test Series) का तीसरा मैच जारी है। इस समय सबसे ज्यादा चर्चा सरफराज खान (Sarfaraz Khan) की है। इस युवा खिलाड़ी ने इंग्लैंड के खिलाफ इस तीसरे टेस्ट (3rd Test) में इंटरनेशनल डेब्यू करते हुए सबको प्रभावित किया है।

25 साल के सरफराज खान ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे और अपने पहले टेस्ट मैच में 62 रन की पारी खेलकर बता दिया कि आखिर उन्हें इस टीम में क्यों चुना गया है। टीम इंडिया में चयन को लेकर ही वो सुर्खियों में थे कि अब अपने इस प्रदर्शन के बाद हर किसी की जुबान पर उन्हीं का नाम है, लेकिन आपको बता दें कि एक और ऐसा खिलाड़ी है, जिसके संघर्ष की कहानी सरफराज से कम नहीं है। हम बात कर रहे हैं ध्रुव जुरेल की, जिसने सरफराज के साथ ही इसी टेस्ट मैच में अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया है। जिस तरह सरफराज की सफलता के बाद उनके परिवार, खासतौर पर पिता नौशाद खान की तारीफ की जा रही है। उसी तरह ध्रुव जुरेल के यहां तक पहुंचने का सफर भी लाजवाब रहा है। ध्रुव के पिता करगिल वॉर के हीरो हैं, जबकि उनकी मां ने अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए बड़ी कुर्बानी दी है।

जुरेल के पिता ने छुड़ाए पाकिस्तानियों के पसीने 

इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट टेस्ट में सरफराज खान के साथ ध्रुव जुरेल ने भी अपना टेस्ट डेब्यू किया है। टीम में बतौर विकेटकीपर खेल रहे ध्रुव जुरेल करगिल वॉर के हीरो के बेटा हैं। बता दें कि जुरेल के पिता चाहते थे कि उनकी तरह उनका बेटा ध्रुव भी भारतीय सेना में जाए। वो चाहते थे कि जुरेल एनडीए का एग्जाम दे और बड़ा ऑफिसर बनकर उनकी ही तरह इंडियन आर्मी में देश की सेवा करे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और आगरा का ये नौजवान क्रिकेटर बन गया और अब 23 साल की उम्र में उसने इंटरनेशनल डेब्यू भी कर लिया है। ध्रुव के पिता नेम सिंह भारतीय सेना में रहे हैं और हवलदार पद से रिटायर हुए हैं। वो अपने बेटे की सफलता से काफी खुश हैं। वो इसे एक सपने के सच होने के रूप में देखते हैं और ध्रुव का समर्थन करने वाले सभी लोगों के आभारी हैं। बता दें कि ध्रुव के परिवार में पहले कोई भी क्रिकेट नहीं खेलता था, लेकिन ध्रुव की प्रतिभा को जल्दी ही पहचान लिया गया और उनके पिता ने उनके टैलेंट को विकसित करने के लिए कोच परवेंद्र यादव की मदद मांगी।

मां ने बेटे के लिए गिरवी रखे गहने 

ध्रुव को यहां तक पहुंचाने में उनका मां का भी बहुत योगदान है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ध्रुव की किट खरीदने के लिए उनकी मां ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे। अपने मां-बाप के इस त्याग को ध्रुव भी बहुत अच्छे से समझते हैं और यही वजह है कि वो अपने माता-पिता के लिए कुछ बड़ा करके दिखाना चाहते हैं। ध्रुव ने कुछ दिन पहले अपने-माता से वीडियो कॉल पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मेरी मां और पिता ने सभी बलिदान दिए हैं, ताकि उनका बेटा बल्ला पकड़ सके और क्रिकेट खेल सके। मैं वादा करता हूं कि ये तो सिर्फ शुरुआत है। मम्मी, पापा, आप दोनों से जमाना है और अभी बहुत नाम कमाना है। 

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Published By : DINESH BEDI

पब्लिश्ड 16 February 2024 at 20:47 IST