अपडेटेड 15 September 2024 at 19:12 IST

क्रिकेट के लिए अलग हुए तीन भाई, दो इंग्लैंड के लिए खेल रहे; तीसरा इस देश के लिए करेगा डेब्यू

क्रिकेट का जुनून एक खिलाड़ी से कुछ भी करवा देता है। ये आपने अब तक सुना होगा, लेकिन ऐसा असल में हो गया है। क्रिकेट के लिए तीन भाई अलग हो गए हैं।

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भाईयों के खिलाफ खेलेगा भाई | Image: X@ICC

Cricket News: क्रिकेट में आपने अक्सर देखा होगा कि कई खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर मौका न मिल पाने के कारण अपना देश छोड़ देते हैं और किसी दूसरे देश के लिए खेलते नजर आते हैं। कहीं दूर नहीं आपको भारत में ही ऐसे कई खिलाड़ी मिल जाएंगे, जिन्होंने ऐसा किया है। 

हम भी आपको एक ऐसी ही मजेदार खबर बताने वाले हैं। क्या आपने कभी सुना है कि क्रिकेट के लिए तीन भाई अलग हो गए हों। अगर नहीं तो आपको बता दें कि ऐसा हो गया है। क्रिकेट के इतिहास में ऐसा अजीबोगरीब नजारा शायद आपने पहले कभी न देखा हो। मगर ये सच है। 

दो इंग्लैंड, तीसरा भाई जिम्बाब्वे के लिए खेलेगा 

दरअसल हम बात कर रहे हैं इंग्लैंड के मशहूर क्रिकेट परिवार करन परिवार की, जिसने क्रिकेट की काफी सेवा की है और अब भी कर रहा है। केविन करन की तीनों बेटे सैम करन, टॉम करन और बेन करन क्रिकेटर हैं। 

सैम करन और टॉम करन इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेल रहे हैं, जबकि उनका भाई जिम्बाब्वे के लिए डेब्यू करने की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैम करन और टॉम करन का भाई बेन करेन अब जिम्बाब्वे के लिए खेलने के पात्र हो गया है और उसने खुद को चयन के लिए उपलब्ध कराया है।

बता दें कि करन बंधुओं के पिता केविन करन जिम्बाब्वे के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने जिम्बाब्वे के लिए 11 वनडे मैच खेले हैं। 1983 में जिम्बाब्वे के लिए इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले केविन करन 90 के दशक में इंग्लैंड शिफ्ट हो गए थे। उन्होंने 1987 में जिम्बाब्वे के लिए आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला था।

1983 वर्ल्ड कप में किया था डेब्यू

स्वर्गीय केविन करन को पहली बार 1980 में श्रीलंका के एक अनौपचारिक दौरे के हिस्से के रूप में जिम्बाब्वे टीम में चुना गया था। उन्होंने 1983 क्रिकेट विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया, ये मैच जिम्बाब्वे का पहला वनडे मैच था। मैच में बड़ा उलटफेर हुआ और ऑस्ट्रेलिया 13 रन से हार गया, जिसमें करन ने डंकन फ्लेचर के साथ छठे विकेट के लिए 70 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की थी। उन्होंने 1983 वर्ल्ड कप मे भारत के खिलाफ पहला वनडे अर्धशतक भी बनाया।

इंग्लैंड से नहीं मिल रहे मौके

अपने करियर के दौरान केविन करन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के सीमित मौके मिले, क्योंकि जिम्बाब्वे को पूर्ण सदस्य का दर्जा नहीं मिला था, इसलिए वो टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सके। जब जिम्बाब्वे को टेस्ट का दर्जा मिला, तब तक करन ने इंग्लैंड की नागरिकता के लिए 10 साल की योग्यता पूरी कर ली थी और फिर उन्होंने काउंटी क्रिकेट खेलने का विकल्प चुना। अपने पिता की तरह बेन करन को भी इंग्लैंड के लिए खेलने के मौके न मिलने के कारण उन्होंने अब जिम्बाब्वे के लिए खेलना का मन बनाया है। 

बेन करन के करियर की बात करें तो उन्होंने 42 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं। वो 28 साल के हो गए हैं, लेकिन उन्होंने अब तक इंग्लैंड के लिए खेलने का मौका नहीं मिला, इसलिए अब वो जिम्बाब्वे की तरफ से खेलने के लिए तैयार हैं। 

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Published By : DINESH BEDI

पब्लिश्ड 15 September 2024 at 19:12 IST