अपडेटेड 14 March 2024 at 20:47 IST
सीके नायडू ट्रॉफी में बड़ी गलती के बाद घरेलू क्रिकेट में अंपायरिंग के स्टैंडर्ड पर सवाल
इंटरनेशनल क्रिकेट में तो अंपायरिंग पर सवाल उठ ही रहे हैं, लेकिन इस बीच भारतीय घरेलू टूर्नामेंट सीके नायडू ट्रॉफी में इसका एक मामला सामने आया है।
CK Nayudu Trophy: उत्तर प्रदेश के खिलाफ कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी अंडर-23 टूर्नामेंट के फाइनल में कर्नाटक के सलामी बल्लेबाज प्रखर चतुर्वेदी के गलत तरीके से आउट होने के बाद घरेलू मैचों में अंपायरिंग के मानकों को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
ये वाक्या कर्नाटक की पहली पारी का है, जब तेज गेंदबाज कुणाल त्यागी की गेंद चतुर्वेदी के बल्ले का किनारा लेते हुए विकेटकीपर आराध्य यादव के दस्तानों में पहुंची। गेंद हालांकि आराध्य हाथों में जाने से पहले जमीन पर गिर गई थी। मैदानी अंपायर ने इसे आउट करार दिया जिससे चतुर्वेदी की पारी 33 रन पर सिमट गयी। उन्होंने दूसरी पारी में 86 रन बनाये। कर्नाटक हालांकि पहली पारी में बढ़त के आधार पर इस मैच को जीत गया।
मामले पर पूर्व अंपायर ने क्या कहा?
फर्स्ट क्लास क्रिकेट के एक पूर्व अंपायर ने गोपनीयता की शर्त पर कहा-
हां, वो आउट नहीं था। मैंने बाद में उसके आउट होने का वीडियो देखा था। गेंद उत्तर प्रदेश के विकेटकीपर के हाथों में जाने से पहले जमीन पर गिर गई थी। अंपायर को आउट नहीं देना चाहिए था। जूनियर टूर्नामेंटों में अंपायरिंग के मानकों को बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि इन टूर्नामेंटों से ही उभरते हुए खिलाड़ी निकलते हैं। आप सोच कर देखिए उस लड़के को कैसा लगा होगा, जो क्रीज पर एक घंटा बिताने के बाद इस तरह से पवेलियन लौटा।
प्रथम श्रेणी के एक अन्य बल्लेबाज ने कहा कि इस तरह की घटना घरेलू क्रिकेट में आम है। उन्होंने कहा कि ये जूनियर क्रिकेट के लिए बेहद आम बात है। उनके साथ तो रणजी ट्रॉफी में भी ऐसा हो चुका है। उस मैच में वो 48 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे और गेंद उनकी कमर के पास लगी थी, लेकिन अंपायर ने LBW आउट दे दिया। उन्होंने इसे यह सोच कर नजरअंदाज कर दिया कि गलती किसी से भी हो सकती है, लेकिन उसी अंपायर ने दूसरी पारी में उन्हें 45 के स्कोर पर विकेट के पीछे कैच आउट करार दिया, जबकि उन्होंने गेंद को विकेटकीपर के लिए छोड़ा था।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : DINESH BEDI
पब्लिश्ड 14 March 2024 at 20:47 IST