अपडेटेड 29 October 2024 at 11:51 IST

कौन था कुंभकर्ण का बेटा, जिसका वध केवल माता सीता ही कर सकती थीं

Who is mulkasur: कौन था कुंभकर्ण का बेटा और उसे माता सीता ही क्यों मार सकती थीं, जानते हैं इस लेख के बारे में...

Sita | Image: Pinterest

Who is mulkasur: कुंभकर्ण रावण का भाई था और वह 6 महीने सोता था और एक दिन जागता था। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभकर्ण का बेटा भी था। जो बाद में पिता की मौत का बदला लेने आया था। उसका वध केवल माता-पिता ही कर सकती थीं। जी हां, ऐसे में इसके पीछे के कारण के बारे में पता होना जरूरी है। 

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि कौन था कुंभकर्ण का बेटा और उसे माता सीता ही क्यों मार सकती थीं, पढ़ते हैं आगे…

कौन था कुंभकर्ण का पुत्र?

एक बार श्री राम राज्यसभा में बैठे थे। तभी वहां विभीषण आएं। वह काफी डरे हुए थे और उन्होंने बोला मुझे बचाइए, मुझे बचाइए। कुंभकर्ण का बेटा मुझे मार देगा। तब श्री राम ने पूरी बात सुनी। विभीषण ने बताया कि कुंभकर्ण का बेटा मूलकासुर, जिसे कुंभकर्ण ने जंगल में डलवा दिया था क्योंकि उसे लगा वह अशुभ है, उसका मधुमक्खियां ने लालन पालन किया। जब वह बड़ा हुआ तो उसने ब्रह्मा जी की तपस्या की और विजयी होने का वर हासिल किया। 

जब पता चला कि उसके खानदान का सफाया कर लंका आपने जीती है और राज्य मुझे मिल गया है तो वे बेहद क्रोधित हुआ। ऐसे में जब आपने राज्य सौंपा तो उसके कुछ दिन बाद ही वो आ गया और उसने मुझ पर हमला कर दिया। ऐसे में 6 महीने तक तो मैं और मेरी सेना लड़ती रही लेकिन वह हावी हो गया। मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया। मुझे अपने बेटे, मंत्री और स्त्री के साथ आना पड़ा। अब मैं आपके पास पहुंचा हूं। 

मूलकासुर ने कहा है कि पहले में विभीषण को मारूंगा फिर राम को। वो आपके पास भी आ ही रहा होगा। ऐसे में समय बहुत ज्यादा कम है। आपका राज्य भी खतरे में है। तब श्री राम पुष्पक विमान पर चढ़कर हनुमान जी लक्ष्मण जी के साथ लंका की तरफ रवाना हुए। जब मूलकासुर को पता चला कि राम आ रहे हैं तो वह तैयार हो गया और 7 दिनों तक युद्ध होता रहा। लेकिन श्री राम की सेना पर मूलकासुर भारी पड़ गया। 

ऐसे में हनुमान जी संजिवनी से सेना की सेवा करते रहे। परंतु उनका युद्ध विपरीत होता जा रहा था। तब वहां ब्रह्मा जी आए और भगवान से कहने लगे कि मैंने ही इसे स्त्री के हाथों मरने का वरदान दिया है। ऐसे में आप बेकार ही प्रयास कर रहे हैं। आगे ब्रह्मा जी कहते हैं कि जब इसके भाई लोग युद्ध में मारे गए तो वह एक बार मुनियों के बीच में बैठकर बोला कि चंडी सीता के कारण हमारा नाश हुआ तो मुनियों को गुस्सा आ गया और उनमें से एक ने श्राप दे दिया कि जिसे तू चंडी कह रहा है वो ही तुम्हारा वध करेगी। 

तब श्री राम ने तुरंत पुष्पक विमान से हनुमान जी को माता सीता को लाने भेजा। सीता मां पति का संदेश पाकर तुरंत आ गईं। माता सीता को जब सारी बात पता चली तो उन्हें बेहद गुस्सा आया। ऐसे में उन्होंने चंडिकास्त्र चलाकर मूलकासुर का वध किया। विभीषण ने राम जी और माता सीता को धन्यवाद किया

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 29 October 2024 at 11:51 IST