अपडेटेड 11 November 2025 at 14:54 IST
Utpanna Ekadashi Vrat Katha: उत्पन्ना एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मोक्ष प्राप्ति का मिलेगा आशीर्वाद
Utpanna Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी को मोक्ष प्राप्ति का व्रत माना जाता है। अब ऐसे में अगर इस दिन आप व्रत रख रहे हैं तो कथा जरूर पढ़ें। वरना कथा पढ़ने के बिना व्रत अधूरी मानी जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Utpanna Ekadashi Vrat Katha: हिंदू पचांग के हिसाब से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने का विधान है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर आपको जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ रहा है तो आप भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने के साथ-साथ व्रत कथा जरूर पढ़ें। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के शरीर से देवी एकादशी प्रकट हुई थीं और उन्होंने मूर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस एकादशी को सभी एकादशी व्रतों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
उत्पन्ना एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में मुर नामक एक महाबलशाली और क्रूर दैत्य था। उसके आतंक से तीनों लोक त्राहि-त्राहि कर रहे थे। अपने प्रचंड पराक्रम से उसने इंद्र, अग्नि, वायु, वरुण जैसे सभी देवताओं को परास्त कर दिया और स्वर्ग पर अपना राज जमा लिया। दुःख और भय से व्याकुल सभी देवता अपनी विपदा लेकर देवों के देव, भगवान शिव के पास पहुंचे।
भगवान शिव ने उन्हें जगत के पालनहार, भगवान विष्णु की शरण में जाने का सुझाव दिया। सभी देवता क्षीरसागर में श्रीहरि विष्णु के पास पहुँचे और मुर दैत्य के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए करुण प्रार्थना की।
देवताओं की दयनीय दशा देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें अभयदान दिया और मुर का संहार करने का निश्चय किया। उन्होंने मुर की नगरी 'चंद्रावती' पर आक्रमण कर दिया। भगवान और दैत्यों के बीच वर्षों तक घनघोर युद्ध चला। लेकिन मुर दैत्य अपनी मायावी शक्तियों के कारण पराजित नहीं हो रहा था।
युद्ध से थके हुए भगवान विष्णु विश्राम करने के उद्देश्य से बद्रिकाश्रम की हेमवती नामक गुफा में योगनिद्रा में लीन हो गए। दुष्ट मुर दैत्य उनका पीछा करते हुए गुफा में घुस आया और उन्हें मारने के लिए शस्त्र उठाया।
ठीक उसी पल, भगवान विष्णु के शरीर से एक दिव्य, तेजस्वी और अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित कन्या प्रकट हुई। उस अद्भुत रूपवान देवी ने मुर दैत्य को ललकारा और उससे युद्ध किया। देवी के प्रचंड प्रहार के सामने मुर एक पल भी टिक न सका और देवी ने तत्क्षण उसका वध कर दिया।
जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागे, तो उन्होंने मुर को मृत पाया। देवी ने उन्हें पूरी घटना बताई।
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तब भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए और बोले, "देवी, चूंकि तुम्हारी उत्पत्ति मेरी एकादशी तिथि के दिन हुई है, इसलिए आज से तुम्हारा नाम उत्पन्ना एकादशी होगा। मेरे भक्त वही होंगे, जो तुम्हारी इस एकादशी तिथि पर व्रत करेंगे। इस व्रत के प्रभाव से उनके सभी पाप नष्ट होंगे और उन्हें अंत में मोक्ष की प्राप्ति होगी।"
तभी से मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के रूप में पूजा जाता है। इस श्रेष्ठ व्रत के प्रभाव से भक्तों को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत कथा पढ़ने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके जीवन में कोई परेशानी चल रही है तो आप उत्पन्ना एकादशी के दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत कथा जरूर पढ़ें। इससे अगर किसी जातकों को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 11 November 2025 at 14:54 IST