अपडेटेड 11 November 2025 at 07:46 IST
Tuesday Chalisa: आज मंगलवार के दिन करें इस अष्टक का पाठ, मंगलदोष का प्रभाव होगा दूर; सभी कार्यों में मिलेगी सफलता
Tuesday Chalisa: आज मंगलवार का दिन है और इस दिन हनुमान जी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। अब ऐसे में इस दिन एक ऐसा अष्टक है, जिसका पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Tuesday Chalisa: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज मंगलवार का दिन है। इस दिन हनुमान जी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपको किसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। ताकि व्यक्ति को दैनिक जीवन में इसके अशुभ प्रभावों का सामना न करना पड़े। अब ऐसे में आज मंगलवार के दिन किस चालीसा और अष्टक का पाठ करने से लाभ हो सकता है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
मंगलवार के दिन करें हनुमान अष्टक का पाठ
आज मंगलवार के दिन हनुमान जी के अष्टक का पाठ विशेष रूप से करें। इस पाठ का आप रोजाना सुबह और शाम को नियमित रूप से पाठ करें।
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
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बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
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बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
।। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 11 November 2025 at 07:46 IST