अपडेटेड 16 August 2025 at 10:56 IST

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में दी जाती है 21 तोपों की सलामी, बेहद अद्भुत है परंपरा

Krishna Janmashtami 2025: नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां जन्माष्टमी पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

SHREENATHJI TEMPLE | Image: Instagram

Krishna Janmashtami 2025: सनातन धर्म में जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अलग-अलग रूप में की जाती है। हर जगह की परंपरा विभिन्न होती है। अगर बात करें, राजस्थान के नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी मंदिर की तो यहां जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के 7 साल के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। जिन्हें श्रीनाथजी कहा जाता है।। ऐसी मान्यता है कि श्रीनाथजी का यह स्वरूप गोवर्धन पर्वत उठाने के समय का माना जाता है। जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी ऊंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर पूरे गांव की रक्षा की थी। इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन सबसे खास बात यह है कि यहां 21 तोपों की सलामी दी जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से इस अद्भुत परंपरा के बारे में जानते हैं।

राजस्थान के श्रीनाथ मंदिर में दी जाती है 21 तोपों की सलामी

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन राजस्थान के नाथद्वारा में श्रीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यहां जन्माष्टमी की तैयारी ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाती है। इस मंदिर में रात को लगभग 11:30 बजे के लिए मंदिर बंद किया जाता है और फिर रात 12 बजे पट खुलते हैं। उसके बाद तोपों की सलामी देने के साथ-साथ ढोल और नगाड़े भी बजाए जाते हैं।

ये भी पढ़ें - Janmashtami 2025: आज कृष्ण जन्माष्टमी के दिन करें इस शक्तिशाली चालीसा का पाठ, हो सकता है भाग्योदय

श्रीनाथजी मंदिर में 21 तोपों की सलामी देने की ऐतिहासिक परंपरा

श्रीनाथजी मंदिर का इतिहास बेहद प्राचीन है। इस मंदिर में ऐसा कहा जाता है कि जब औरंगजेब ने हमला कर दिया था तब यहां के पुजारी श्रीनाथजी की प्रतिमा को सुरक्षित निकालकर ले गए थे। ऐसा कहा जाता है कि यहां 21 तोपों की सलामी देने की परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। इस मंदिर की खास बात यह है कि चाहे सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण कपाट फिर भी खुले रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी हुई सभी मुरादें पूरी होती है।

Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 16 August 2025 at 10:56 IST