अपडेटेड 18 July 2025 at 23:05 IST
Sawan Shoola Yoga: सावन में बन रहा है शूल योग, भूलकर भी न करें कोई शुभ कार्य,जानें क्या हैं उपाय
'शूल' का मतलब होता है- चुभने वाला शस्त्र यानी ऐसा कुछ जो तकलीफ दे। इस योग का असर भी कुछ ऐसा ही होता है, जो जीवन में रुकावट, परेशानी और तनाव ला सकता है।
19 जुलाई 2025, शनिवार को सावन महीने के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पड़ रही है। इस दिन भरणी नक्षत्र और शूल योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार यह योग शुभ नहीं माना जाता है। इस योग में कोई भी शुभ काम करना टालना चाहिए क्योंकि इससे परेशानियां बढ़ सकती हैं।
हालांकि, धर्म शास्त्रों में इसके उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप इन प्रभावों से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कि शूल योग क्या होता है, क्यों अशुभ माना जाता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
क्या होता है शूल योग?
शूल योग तब बनता है जब सभी सात ग्रह सिर्फ तीन राशियों में स्थित होते हैं। यह एक अशुभ योग माना जाता है जिसमें कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है। इस योग में किए गए काम भले ही शुरू में सफल लगें, लेकिन आगे चलकर वे दुख, रुकावट या नुकसान का कारण बन सकते हैं। जीवन में लंबे समय तक मानसिक या शारीरिक पीड़ा बनी रह सकती है।
शूल योग का स्वामी राहु होता है, जो अक्सर भ्रम, उलझन और नेगेटिव सोच का कारण बनता है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। भगवान शिव को राहु के बुरे प्रभावों को दूर करने वाला माना गया है। अगर शूल योग बन रहा हो, तो शिव की पूजा करने से राहु की नकारात्मकता से राहत मिल सकती है। साथ ही, शनिवार को कुछ विशेष ज्योतिष उपाय करने से शनि देव के प्रकोप से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
शिव की पूजा से मिलती है राहत
शूल योग का स्वामी राहु है, और राहु के बुरे असर को भगवान शिव कम करते हैं। अगर शूल योग में कोई जरूरी काम करना हो, तो उससे पहले शिवजी की पूजा जरूर करें। इससे दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।
क्या हैं शूल योग को कम करने का उपाय
- रोज सुबह शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
- "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे..." महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- शिवजी को बेल पत्र अर्पित करें।
अगर किसी व्यक्ति का जन्म भी शूल योग में हुआ हो, तो "शूल योग शांति पूजन" करवाना शुभ माना जाता है।
पंचांग के अनुसार शुभ और अशुभ समय
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक (कोई जरूरी काम इसी समय करें)
राहुकाल: सुबह 9:01 से 10:44 बजे तक (इस समय कोई भी शुभ कार्य न करें)
शनिवार का व्रत और शनि शांति उपाय
शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। अग्नि पुराण में बताया गया है कि 7 शनिवार व्रत रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे प्रभावों से छुटकारा मिलता है। खासतौर पर श्रावण महीने के शनिवार से व्रत शुरू करना बहुत शुभ होता है।
शनिदेव को कैसे करें प्रसन्न?
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें:
- स्नान करके पूजा स्थल साफ करें।
- शनि देव की मूर्ति या शनि यंत्र स्थापित करें।
- "ॐ शं शनैश्चराय नम:" और "ॐ सूर्यपुत्राय नम:" मंत्रों का जाप करें।
शनिदेव को ये चीजें करें अर्पण
काले तिल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, शनिदेव को स्नान कराएं और दीपक जलाएं।
शनिदेव को किन चीजों का लगाएं भोग
- पूरी और काले उड़द की खिचड़ी।
- शनि चालीसा और कथा का पाठ करें।
पीपल की पूजा कैसे करें?
- शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- पीपल की परिक्रमा करें।
- "छाया दान" करें यानी तेल का दान करना शुभ माना जाता है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Samridhi Breja
पब्लिश्ड 18 July 2025 at 23:05 IST