अपडेटेड 20 September 2025 at 23:38 IST

Pitru Paksha 2025: मृत माता-पिता का श्राद्ध कर चुके तो सर्वपितृ अमावस्या पर करें यह काम, मिलेगा बड़ों का आशीर्वाद, पितर होंगे प्रसन्न और तृप्त

पितृ पक्ष के समय परिवार अपने पूर्वजों को याद करके उन्हें तर्पण, श्राद्ध और भोजन अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने से घर में सुख-समृद्धि और बरकत आती है।

pitru paksha 2025 what to do on Sarva Pitru Amavasya to get blessings of your elders also ancestors will be happy and satisfied after performing shradh of dead parents | Image: Freepik

21 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन सब ज्ञात एवं अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर उन्हें विदाई दी जाती है। इसके साथ ही साल का अंतिम सूर्यग्रहण भी इसी दिन लगने जा रहा है। जो लोग अपने पितरों के दिन श्राद्ध कर्म कर चुके हैं तो भी सर्वपितृ अमावस्या को अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों की शांति के लिए एक बार फिर श्राद्ध करें। इस सर्वपितृ अमावस्या पर केवल गजकेसरी योग भी बन रहा है।

सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार, सब पितरों का पूजन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आपके जन्म में केवल आपके माता-पिता का योगदान नहीं होता बल्कि 12 पीढियों के 494 पूर्वज का जन्म लेना भी आवश्यक था। औसतन 400 सालों में 12 पीढ़ियां खप जाती हैं और आपके 494 पूर्वजों का जन्म-मरण इस पृथ्वी पर हो जाता है तब जाकर आपका इस पृथ्वी पर अस्तित्व होता है यानि कि आपका जन्म होता है। इसे इस तरीके से समझें कि पृथ्वी पर जब आपका जन्म होने के लिए आपको माता और पिता यानि दो लोगों की आवश्यकता थी और आपके माता और पिता के जन्म लेने के लिए अब दो नहीं, चार लोगों की आवश्यता रही है। यानि दादा-दादी और नाना-नानी। क्योंकि अगर आपके नाना-नानी नहीं पैदा हुए होते तो आपकी माता का भी जन्म नहीं होना था। उनके भी जन्म लेने के लिए और आगे आठ पूर्वजों की ऐसी आवश्यकता रही है। इसी प्रकार यदि आप 12 पीढ़ियों तक पीछे जाएंगे तो 494 पूर्वजों की आवश्यकता होगी। तब जाकर आपका जन्म होता है। 

अंतिम श्राद्ध अमावस्या को ही संपन्न होता है और इसी दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन अमावस्या के दिन हुआ हो या फिर जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं हो। जैसे कि आपके दादा से भी पहले के सभी पूर्वज जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं होती है। पितृ पक्ष के दिनों में किन्हीं वजह से अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाए हों तो भी चिंता की कोई बात नहीं है। अमावस्या के दिन उनका भी श्राद्ध किया जा सकता है।

इसलिए तो जब आप श्राद्ध कर्म कर अथवा उनकी पुण्यतिथि पर कार्यक्रम कर अपने पूर्वजों को धन्यवाद देते हैं तब उस वक्त आप अपने अंदर के जींस को भी धन्यवाद दे रहे होते हैं। आप अपने अस्तित्व के लिए भी उन पूर्वजों का स्मरण कर नतमस्तक होते हैं।

इस दिन क्या करना चाहिए?

  • सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।
  • अगर पहले से सूर्य को जल चढा रहे हैं तो इस दिन जल देते समय पितरों का ध्यान कर उनकी शांति की प्रार्थना भगवान से करें।
  • पितरों का वास पीपल में होने की वजह से पीपल के पेड़ पर जल जरूर चढ़ाएं। शास़्त्रों में कहा गया है कि जल का तर्पण करने से सभी पितरों की प्यास बुझती है।
  • इस दिन काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें, इससे घर के सभी सदस्यों में पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों का तर्पण उत्तम रहेगा।
  • पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौवे, देव एवं चींटियों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए। श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल कामना करे।
  • इस दिन बहन, दामाद और भांजा-भांजी को भोजन कराएं। उन्हें भोजन कराने से पितर प्रसन्न रहते हैं। अपने सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों को धन्यवाद देना चाहिए और जाने-अनजाने स्वयं से या अपने किसी परिवार के सदस्य से हुई भूल के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

सर्व पितृ अमावस्या का मुहूर्त और योग

सर्वपितृ अमावस्या 21 सितम्बर की रात 12ः16 बजे से शुरू होकर 22 सितम्बर की रात 1ः23 बजे तक रहेगी। इन समयों में किया गया श्राद्ध और तर्पण विशेष फलदायी रहने वाला है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Samridhi Breja

पब्लिश्ड 11 September 2025 at 23:45 IST