अपडेटेड 24 November 2025 at 20:56 IST
Mokshada Ekadashi 2025: 30 नवंबर या 1 दिसंबर कब है मोक्षदा एकादशी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Mokshada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में सभी एकादशी को महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हीं में से एक मोक्षदा एकादशी भी है। अब ऐसे में इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Mokshada Ekadashi 2025: सनातन धर्म में सभी एकादशी को शुभ और भाग्यशाली माना जाता है। वहीं हिंदू पंचांग के हिसाब से मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि तो मोक्ष प्राप्तडि वाला एकादशी माना जाता है। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है और इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसलिए यह तिथि भक्ति, संयम और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। अब ऐसे में इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
मोक्षदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि दो दिन होने के कारण अक्सर यह भ्रम होता है कि व्रत किस दिन रखा जाए। ज्योतिष शास्त्र और धर्म ग्रंथों के अनुसार, एकादशी का व्रत उदया तिथि के हिसाब से मान्य होता है।
मोक्षदा एकादशी तिथि का प्रारंभ- 30 नवंबर 2025, रविवार को रात 09 बजकर 29 मिनट पर होगा।
एकादशी तिथि का समापन- 1 दिसंबर 2025, सोमवार को शाम 07 बजकर 01 मिनट पर होगा।
उदया तिथि के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025, सोमवार को रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए कुछ विशेष शुभ मुहूर्त रहेंगे।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 50 मिनट तक
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मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा का महत्व क्या है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। यह व्रत सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पापों का नाश करने वाला माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग मिलता है। यह व्रत पितरों को भी मोक्ष दिलाता है। इस दिन गीता का पाठ करने से भाग्योदय होता है।
पितरों को शांति: यह व्रत पितरों को भी मोक्ष दिलाने में सहायक माना गया है। इस दिन पितरों के निमित्त दान-पुण्य करने से उन्हें शांति मिलती है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 24 November 2025 at 20:56 IST