अपडेटेड 5 August 2024 at 23:06 IST

Mangla Gauri Vrat: मंगला गौरी व्रत का क्या है महत्व? सावन के तीसरे मंगलवार पर इस विधि से करें पूजा

Mangla Gauri: सावन (Sawan) माह में सिर्फ सोमवार ही नहीं बल्कि मगंलवार व्रत का भी विशेष महत्व माना जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा विधि क्या है?

मंगला गौरी व्रत का महत्व? | Image: Freepik

Kyo Kiya Jata Hai Mangla Gauri Vrat: हिंदू धर्म में सावन माह को बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूरा महीना भगवान शंकर को समर्पित किया गया है और पूरे माह उनकी विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। वहीं सावन के सोमवार (Sawan Somwar) को पूजा के साथ-साथ विशेष रुप से व्रत रखने का भी विधान है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सावन के महीने में सिर्फ सोमवार ही नहीं बल्कि मगंलवार को भी बेहद खास माना जाता है। जिसे मंगला गौरी (Mangla Gauri Vrat) के नाम से जाना जाता है और इस विधिवत पूजा-पाठ के साथ व्रत रखने का भी विधान है।

वैसे तो हिंदू धर्म में कई व्रत त्योहार आते हैं जिनका खास महत्व माना जाता है। ठीक उसी तरह से सावन में रखा जाने वाला मंगला गौरी का व्रत (Mangla Gauri Vrat) भी बेहद ही खास महत्व रखता है। कहते हैं कि इस दिन सुहागिन महिलाएं विधि-विधान के साथ मां गौरी का व्रत और पूजन करें तो मां उन्हें कभी निराश नहीं करती। इसलिए सुहागिन महिलाओं को सावन माह में मंगला गौरी व्रत को जरूर रखना चाहिए।

मंगला गौरी व्रत का महत्व? (Mangla Gauri Vrat Ka Mahatav)

मंगला गौरी व्रत का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले मां गौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat Kyo Rakha Jata Hai) रखा था। कहते हैं कि इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है उनके लिए भी मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat Mahatav) फलदायी माना गया है।

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि? (Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi)

  • मंगला गौरी व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद साफ सुथरे कपड़ें पहनें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें।
  • इसके बाद मंदिर को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
  • फिर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद माता गौरी को लाल रंग के वस्त्र या लाल चुनरी पहनाएं और सुहाग की 16 सामग्री अर्पित करें।
  • फिर सिंदूर का तिलक करें और घी का दीपक जलाएं।
  • सावन में मंगला गौरी व्रत के दिन माता गौरी को चढ़ाई जाने वाली पूजा सामग्री में पान, सुपारी, लौंग, इलाचयी और फूल आदि अवश्य शामिल करें।
  • इसके बाद मंगला गौरी व्रत कथा पढ़े और आरती करें।
  • आखिरी में मां को भोग लगाएं और प्रसाद बांटे। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 5 August 2024 at 23:06 IST