अपडेटेड 13 January 2024 at 19:08 IST

Lohri Festival: कौन हैं दुल्ला भट्टी जिनकी कहानी के बिना अधूरा है लोहड़ी का त्योहार?

Lohri का त्योहार देश के कई हिस्सों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है, लेकिन इसे दुल्ला भट्टी की कहानी के बिना अधूरा माना जाता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

कौन हैं दुल्ला भट्टी? | Image: Freepik

Religion, Lohri Festival 2024: दिल्ली-पंजाब समेत देशभर में बड़ी ही धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला लोहड़ी का त्योहार इस बार 13 नहीं बल्कि 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। सिख समुदाय के लिए यह बहुत ही खास दिन होता है। लोहड़ी पर अग्नि के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हुए इसमें गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, पॉपकॉर्न आदि अर्पित किए जाते हैं। साथ ही इस दिन दुल्ला भट्टी की कहानी जरूर सुनी और सुनाई जाती है कहते है कि इस कहानी के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

स्टोरी में आगे ये पढ़ें...

  • क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार?
  • लोहड़ी पर क्या-क्या होता है?
  • कौन है दुल्ला भट्टी?

क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार?

Lohri का पर्व फसल और मौसम से जुड़ा है। इस मौसम में पंजाब में किसानों के रबी की फसल कटकर आती है। ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले किसान भगवान का धन्यवाद करते हैं और फसल की पहली कटाई अग्नि देव के समर्पित करते हैं। इसलिए इस त्योहार को दिल्ली, पंजाब और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

लोहड़ी पर क्या-क्या होता है?

लोहड़ी का त्योहार सिख समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन रात में लोग अग्नि के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हुए अग्नि में गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, पॉपकॉर्न आदि अर्पित किए करते हैं। फिर परिवार के लोग और करीबी दोस्‍त, रिश्‍तेदार सभी मिलजुलकर ढोल-नगाढ़ों पर भांगड़ा और गिद्दा वगैरह करते हैं और एक दूसरे को लोहड़ी की बधाइयां देते हैं। साथ ही दुल्ला भट्टी की कहानी सुनते हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन है दुल्ला भट्टी जिसकी कहानी के बिना लोहड़ी का पर्व अधूरा माना जाता है।

कौन है दुल्ला भट्टी जिनकी कहानी के बिना अधूरी है लोहड़ी?

कथाओं के मुताबिक अकबर के शासन काल में पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स रहता था। उस समय लोग मुनाफे के लिए लड़कियों को बेचकर उनका सौदा कर लेते थे। एक बार संदलबार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। इस दौरान वहां दुल्ला भट्टी भी मौजूद थे और उन्होंने सामान के बदले में इलाके की लड़कियों का सौदा होते देख लिया।

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इसके बाद उन्‍होंने बड़ी चतुराई से न सिर्फ उन लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से आजाद कराया, बल्कि उनके जीवन को बर्बादी से बचाने के लिए उनका विवाह भी करवाया। इसके बाद से दुल्‍ला भट्टी को नायक के तौर पर देखा जाने लगा।

लोहड़ी का त्योहार पंजाब का सबसे बड़ा पर्व है और इसमें परिवार, दोस्‍त और करीबी लोग इकट्ठे होते हैं और इस मौके पर दुल्‍ला भट्टी की कहानी इसलिए सुनाई जाती है ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग इससे प्रेरणा लेकर घर की महिलाओं की हिफाजत करना सीखें, उनका सम्‍मान करें और जरूरतमंदों की मदद करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 13 January 2024 at 19:08 IST