अपडेटेड 8 August 2025 at 23:20 IST
Teej 2025: कितने प्रकार की होती है तीज? महिलाओं के लिए जानना जरूरी, जानें कब है कजरी तीज?
हिन्दू धर्म में तीज के त्योहार का महत्व अधिक होता है। इस मौके पर व्रत रखा जाता है।
भारत में त्योहारों की बात हो और उसमें तीज का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है। तीज महिलाओं के लिए बहुत खास त्योहार होता है, खासकर उत्तर भारत में इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है। इस मौके पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
क्या आप जानती हैं कि तीज सिर्फ एक नहीं, बल्कि तीन प्रकार की होती है? हर तीज का अपना एक महत्व और तरीका होता है। अगर आप भी 2025 में तीज के खास मौके को सही तरह से मनाना चाहती हैं, तो जानिए इससे जुड़ी खास बातें।
तीज के तीन प्रकार कौन-कौन से होते हैं?
हरियाली तीज
- सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
- यह तीज खासतौर पर नवविवाहित महिलाएं और युवतियां मनाती हैं। इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, गीत गाती हैं और हरे कपड़े पहनती हैं।
- यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
कजरी तीज
- यह भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
- 2025 में कजरी तीज 20 अगस्त 2025, बुधवार को है।
- यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में मनाई जाती है।
- महिलाएं दिनभर व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा और नीम के पेड़ की पूजा करती हैं।
- इस दिन महिलाएं ‘कजरी’ गीत गाती हैं और मिट्टी से बने गौरी-शंकर की पूजा करती हैं।
हरितालिका तीज
- यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है
- यह व्रत खासतौर पर कुंवारी लड़कियां भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना से करती हैं।
- महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी बिना पानी के उपवास करती हैं।
कजरी तीज क्यों है खास?
- यह तीज खास तौर पर संतान प्राप्ति और भाई-बहन के रिश्ते को भी महत्व देती है।
- इस दिन महिलाएं नीमड़ी पूजा करती हैं और चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं।
- लोक गीतों और पारंपरिक नृत्य से इस दिन का माहौल बेहद खूबसूरत हो जाता है।
महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है तीज जानना?
- तीज व्रत न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह महिलाओं को अपने स्वास्थ्य, संयम और रिश्तों को मजबूत करने की प्रेरणा भी देता है।
- यह अवसर होता है खुद को संवारने, साज-सज्जा और पारंपरिक रीतियों को जीने का।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Samridhi Breja
पब्लिश्ड 8 August 2025 at 23:10 IST