अपडेटेड 12 March 2025 at 23:27 IST

Holi 2025: वरदान के बाद भी क्यों जल गई होलिका? आसान शब्दों में पढ़ें कथा

Prahalad Holika Story: होलिका और प्रहलाद की कथा, जिसे हर साल होलिका दहन के दौरान याद किया जाता है, जानते हैं इस लेख के माध्यम से

Holi 2025: वरदान के बाद भी क्यों जल गई होलिका? आसान शब्दों में पढ़ें कथा | Image: Meta AI

Prahalad Holika Story: होली पर अक्सर प्रह्लाद और होलिका की कहानी याद की जाती है। कहते हैं कि एक राजा था जिसका नाम था हिरण्यकश्यप। वह बेहद ही घमंडी था और उसकी इच्छा थी कि हर कोई उसी की पूजा करें परंतु उसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह हर वक्त नारायण नारायण का जाप करता था। यह बात उसके पिता को पसंद नहीं थी। ऐसे में हिरण कश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए खूब जतन किए। परंतु भगवान विष्णु का भक्त होने के कारण प्रहलाद हर बार बच जाता। 

अपनी बहन होलिका को किया याद

ऐसे में एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया। होलिका को वरदान था कि वह आग से नहीं जल सकती। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने होलिका से कहा कि तुम प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाओ। ऐसे में जब होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठी तो उस दौरान भी प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम जाप कर रहा था। ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया। परंतु होलिका का वरदान उस अग्नि पर काम नहीं किया और वह जल गई। ऐसे में बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। यही कारण है कि इस जीत को याद करते हुए हर साल होलिका दहन होता है और लोग अपने घरों से जाकर होलिका की परिक्रमा करते हैं। 

होलिका कैसे जली?

एक मान्यता यह भी है कि जब होलिका जल गई तो उसके बाद उसके शरीर की नकारात्मक उर्जा शरीर से निकलने लगी। ऐसे में अग्नि देव ने अपनी उर्जा प्रकट की। वह ऊर्जा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर रही थी। उस दौरान ब्रह्मदेव ने उस ऊर्जा का नाम होला माता रखा। ऐसे में हर साल होलिका के अगले दिन होला माता की पूजा होती है। कहते हैं कि उनकी पूजा के बिना होली का त्योहार अधूरा माना जाता है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 12 March 2025 at 23:27 IST