अपडेटेड 9 December 2025 at 23:42 IST

Hanuman Ashtami Stotra 2025: हनुमान अष्टमी के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, कष्टों से मिल सकता है छुटकारा, जानें नियम

Hanuman Ashtami Stotra 2025: हनुमान अष्टमी के दिन पवनपुत्र हनुमान की पूजा करने का विशेष विधान है। अब ऐसे में इस दिन एक स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति को कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Hanuman Ashtami Stotra 2025 | Image: Freepik

Hanuman Ashtami Stotra 2025: देशभर में हनुमान अष्टमी विशेष रूप से मनाई जाती है। इस दिन सभी हनुमान मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। सभी भक्त हनुमान जी की विधिवत रूप से पूजा-पाठ करते हैं। पंचांग के हिसाब से हनुमान अष्टमी का व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन आता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि त्रेतायुग में हनुमान जी ने पाताल लोक में अहिरावण का वध करके भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया था। 

इस दिन को विजय उत्सव के रूप में मनाने का विधान है। इतना ही नहीं, ऐसा कहा जाता है कि पाताल लोक से लौटने के बाद हनुमान जी ने पृथ्वी के नाभि केंद्र यानी कि उज्जैन में आराम किया था और वह दिन अष्टमी तिथि थी। इसलिए अष्टमी तिथि की विशेष मान्यता है। अब ऐसे में इस दिन एक ऐसा स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

हनुमान अष्टमी के दिन करें श्री हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र का पाठ

ॐ हनुमान् अंजनी सूनुर्वायुर्पुत्रो महाबलः।

श्रीरामेष्टः फाल्गुनसंखः पिंगाक्षोऽमित विक्रमः॥

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वाल्पकाले प्रबोधे च यात्राकाले य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।

राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

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हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र का पाठ करने के नियम क्या हैं?

  • पाठ शुरू करने से पहले स्नान-ध्यान करें।
  • अगर आप इस स्तोत्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करें तो यह और भी अधिक शुभ माना जाता है।
  • पाठ करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर या उत्तर दिशा की ओर रखें।
  • आप आसान पर बैठकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
  • यदि आप किसी विशेष मनोकामना के लिए पाठ कर रहे हैं, तो दाहिने हाथ में जल लेकर अपना नाम, गोत्र, और पाठ करने का कारण बोलकर संकल्प लें। फिर जल भूमि पर छोड़ दें।

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 9 December 2025 at 23:42 IST