अपडेटेड 3 May 2025 at 13:20 IST

Ganga Saptami 2025: 3 या 4 मई, कब है गंगा सप्‍तमी? नोट करें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ganga Saptami 2025 Date: आइए जानते हैं कि इस बार गंगा सप्तमी किस तारीख को मनाई जाएगी।

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गंगा सप्‍तमी 2025 | Image: ANI

Ganga Saptami 2025 Date: हिंदू धर्म में गंगा सप्‍तमी का बेहद खास महत्व है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के साथ-साथ मां गंगा और भगवान शिव की पूजा किए जाने का विधान है। वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की सप्‍तमी तिथि के दिन गंगा सप्‍तमी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर आई थीं। इसलिए इस दिन उनकी खास पूजा की जाती है।

कहते हैं कि गंगा सप्‍तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने के साथ-साथ मां गंगा की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल गंगा सप्तमी किस दिन मनाई जाने वाली है।

गंगा सप्‍तमी की तिथि (Ganga Saptami 2025 Date)

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 3 मई को सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन यान 4 मई को सुबह 5 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व 3 मई को मनाया जाएगा।

गंगा सप्‍तमी शुभ मुहूर्त (Ganga Saptami 2025 Muhurat)

  • गंगा सप्‍तमी पर गंगा स्‍नान का शुभ मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहर 1 बजकर 58 मिनट तक है।
  • गंगा सप्‍तमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है।
  • गंगा सप्‍तमी पर दानपुण्‍य का शुभ मुहूर्त: सुब‍ह ब्रह्म मुहूर्त 4 बजकर 13 मिनट से 4 बजकर 56 मिनट तक है।

गंगा सप्‍तमी की पूजा विधि (Ganga Saptami Puja Vidhi)

  • गंगा सप्तमी पर पूजा करने से पहले गंगा नदी में स्नान करें। या फिर घर के पानी में ही थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
  • इसके बाद स्वच्छ सफेद व लाल रंग के कपड़े पहनें।  
  • अब मां गंगा की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर रखें।
  • तांबे के कलश में गंगाजल भरें और उस पर नारियल और आम के पत्ते रखें।
  • मां गंगा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • अब पूजा के समय नीचे दिया गए मंत्रों का जप करें।

"ॐ नमः शिवाय गंगायै नमः।
ॐ भागीरथी च विद्महे विष्णुपत्न्यै धीमहि।
तन्नो जाह्नवी प्रचोदयात्॥"

  • मां गंगा को आप दूध से बनी खीर भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं।
  • इसके बाद पूजा खत्म होने पर इस खीर को प्रसाद के रूप में सभी लोगों में वितरित करें। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 3 May 2025 at 13:20 IST