अपडेटेड 23 October 2025 at 16:00 IST
Dev Uthani Ekadashi 2025 Kab Hai: 01 या 02 नवंबर कब है, देवउठनी एकादशी? जानें भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Dev Uthani Ekadashi 2025 Kab Hai: हिंदू धर्म में सभी एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। जिनमें देवउठनी एकादशी को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। अब ऐसे में इस साल देवउठनी का व्रत कब रखा जाएगा? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Dev Uthani Ekadashi 2025 Kab Hai: हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवउठनी एकादशी का व्रत रखने का विधान है। यह व्रत इतना महत्वपूर्ण माना जाता है। कि अगर आपने पूरे साल व्रत न रखा हो और केवल देवउठनी एकादशी का व्रत रखा हो तो यह एक समान माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु 4 महीने के योग निद्रा के बाद जागते हैं। इसलिए इसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
जैसे ही भगवान विष्णु जागते हैं, वैसे ही विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। अब ऐसे में इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का मुहूर्त और महत्व क्या है? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कब है देवउठनी एकादशी?
पंचांग के हिसाब से, इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदया तिथि के हिसाब से देवउठनी एकादशी का व्रत 01 नवंबर को रखा जाएगा।
देवउठनी एकादशी के दिन पूजा का मुहूर्त क्या है?
जेवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त विस्तार से जानें।
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
इस दिन भगवान विष्णु को जगाने और तुलसी विवाह की पूजा की जाती है, जो पूरे दिन शुभ मानी जाती है।
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देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि के पालक भगवान विष्णु अपनी चार महीने की लंबी योग निद्रा से जागते हैं। भगवान के जागने के कारण ही इसे 'देवउठनी' या 'देवोत्थान' एकादशी कहा जाता है। इस दिन उनकी पूजा करना इस बात का प्रतीक है कि वे पुनः सृष्टि का कार्यभार संभाल रहे हैं।
Published By : Aarya Pandey
पब्लिश्ड 23 October 2025 at 16:00 IST