अपडेटेड 28 August 2025 at 12:57 IST

Chhath Puja 2025 Dates:इस साल कब है छठ पूजा? नोट कर लें नहाय खाए से लेकर सुबह के अर्घ्य तक की तारीख और समय

छठ पूजा हिन्दू धर्म का सदियों पुरानी प्रथा है। जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे संबंधों का भी परिचायक है। आज के युग में भी यह पर्व अपनी पावन परंपराओं को संजोए हुए है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति का सम्मान करना है।

छठ पूजा | Image: Meta-AI

Chhath pooja :छठ पूजा की परंपरा सदियों पुरानी है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे संबंधों का भी परिचायक है। आज के युग में भी यह पर्व अपनी पावन परंपराओं को संजोए हुए है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति का सम्मान करना और उसके प्रति कृतज्ञ होना हमारे जीवन का आधार है।

छठ पूजा हमें यह संदेश देती है कि जीवन में संतुलन और श्रद्धा से ही सुख और समृद्धि मिलती है। यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और अपने संस्कारों को संजोने का अवसर प्रदान करता है। आइए, इस दिव्य पर्व को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाएं और अपने जीवन में सकारात्मकता का संचार करें।

छठ पूजा की तारीख और मुहूर्त क्या है?

छठ पूजा भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल जैसे राज्यों में अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। यह पर्व सूर्य भगवान की उपासना का पर्व है, जो प्रकृति और जीवन के प्रति हमारे आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। छठ पूजा का आयोजन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को किया जाता है, जिसमें नहाय-खाय, खरना और अन्नप्राशन जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक यह पर्व मनाया जाता है।

छठ पूजा में क्या होता है?  

छठ पूजा का मुख्य आकर्षण सूर्य देव को अर्घ्य देना है। इसमें श्रद्धालु सूरज उगने से लेकर डूबने के समय तक जल अर्पित करते हैं, जो जीवन और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है । श्रद्धालु पवित्र नदी, तालाब या पोखर के किनारे खड़े होकर सूर्य को जल अर्पित करते हैं, जिससे उनके जीवन में  सुख समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।

छठ पूजा का महत्व क्या है? जानिए

इस पर्व का महत्व न केवल सूर्य भगवान की पूजा से है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी माध्यम है। श्रद्धालु पवित्र नदी, तालाब या पोखर के किनारे खड़े होकर सूर्य को जल अर्पित करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है। यह पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक मेलजोल का भी प्रतीक है। पूरे परिवार और समुदाय के लोग मिलकर व्रत रखते हैं, व्रत कथा सुनते हैं, और पारंपरिक गीत गाते हैं। छठ पूजा के समय किए जाने वाले व्रत और कठोर नियम श्रद्धालुओं में आत्मिक शक्ति और संयम का संचार करते हैं। यह पर्व एकता और सद्भाव का भी प्रतीक है, जहां सभी वर्ग और समुदाय के लोग मिलकर श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं।

छठ पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त क्या है?

पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक यह पर्व मनाया जाता है। इस साल 27 अक्टूबर सूबह 6 बजकर 4 मिनट से आरंभ हो रही है और 28 अक्टूबर सूबह 7 बजकर 59 मिनट पर समाप्त हो जाएगी । 27 अक्टूबर को साम काल का अर्घ्य दिया जाएगा। अगले दिन 28 अक्टूबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा।

नहाय खाय की तिथि क्या है? 

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन नहाय खाय होता है। इसी दिन से छठ पूजा का शुरुआत हो जाता है। इस दिन व्रती गंगा स्नान कर कुल देवी, देवता और सूर्यदेव की पूजा करते हैं। इसके बाद अरवा चावल, चना दाल में लौकी डालकर दाल, का प्रसाद बनाकर  पूजा कर ग्रहण करते हैं। इस बार 25 अक्टूबर को नहाय खाय किया जाएगा।

खरना की तारीख क्या है? जानिए

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना पर्व को मनाया जाता है। इस दिन व्रती निर्जला व्रत रखती हैं, वहीं  साम में  स्नान ध्यान कर छठी मैया की विधि के अनुसार पूजा करती हैं। छठी मांता को चावल की खीर और फल पुष्प चढ़ाया जाता है।पूजा के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करती हैं उसके बाद पूरे परिवार को खिलाया जाता है। इस बार खरना 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। खरना पूजा के बाद निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है।

अर्घ्य देने की तिथि

अर्घ्य 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

नहाय खाय- 25 अक्टूबर 

खरना की तारीख-26 अक्टूबर

पहला अर्घ्य-27 अक्टूबर डूबते सूर्य को 

दुसरा अर्घ्य-28अक्टूबर उगते सूर्य को 

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 28 August 2025 at 12:57 IST