अपडेटेड 3 April 2025 at 12:04 IST

Maa Katyayani Chalisa: नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा में जरूर करें इस चालीसा का पाठ, मिलेगा माता का आशीर्वाद

Maa Katyayani Chalisa Lyrics: मां कात्यायनी की पूजा करते समय आपको इस चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

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मां कात्यायनी की पूजा | Image: Meta AI

Chaitra Navratri 2025 Maa Katyayani Chalisa: 30 मार्च से शुरू हुए चैत्र नवरात्रि उत्सव (Chaitra Navratri 2025) का आज यानी गुरुवार, 03 अप्रैल को छठा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन जो साधक स्नान-ध्यान कर भक्ति भाव से मां कात्यायनी की पूजा करते हैं, उन्हें माता अपना आशीर्वाद देकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

मां कात्यायनी की चार भुजाएं होती हैं जिसमें से माता का दाहिना ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। वहीं माता के बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प विराजमान है और उनकी सवारी शेर है। माता के सिर पर हमेशा मुकुट सुशोभित रहता है। मां कात्यायनी बेहद दयालु होती हैं। ऐसे में अगर आप मां कात्यायनी की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको उनकी इस चालीसा का पाठ (Maa Katyayani Chalisa) जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं इस बारे में।

विन्ध्येश्वरी चालीसा (Vindhyashwari Chalisa)

दोहा

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में, माँ करती नहीं विलम्ब॥

चौपाई

जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदि शक्ति जग विदित भवानी॥
सिंहवाहिनी जै जग माता।
जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥

कष्ट निवारिणी जय जग देवी।
जय जय जय जय असुरासुर सेवी॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी।
शेष सहस्र मुख वर्णत हारी॥

दीनन के दुःख हरत भवानी।
नहीं देख्यो तुम सम कोई दानी॥
सब कर मनसा पूरवत माता।
महिमा अमित जगत विख्याता॥

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै।
सो तुरतहि वांछित फल पावै॥
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी।
तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी॥

रमा राधिका शामा काली।
तू ही मात सन्तन प्रतिपाली॥
उमा माधवी चण्डी ज्वाला।
बेगि मोहि पर होहु दयाला॥

तू ही हिंगलाज महारानी।
तू ही शीतला अरु विज्ञानी॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता।
तू ही लक्ष्मी जग सुखदाता॥

तू ही जान्हवी अरु उत्रानी।
हेमावती अम्बे निर्वानी॥
अष्टभुजी वाराहिनी देवी।
करत विष्णु शिव जाकर सेवी॥

चौंसठी देवी कल्याणी।
गौरी मंगला सब गुण खानी॥
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी।
भद्रकाली सुन विनय हमारी॥

वज्रधारिणी शोक नाशिनी।
आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी॥
जया और विजया बैताली।
मातु सुगन्धा अरु विकराली॥

नाम अनन्त तुम्हार भवानी।
बरनैं किमि मानुष अज्ञानी॥
जा पर कृपा मातु तव होई।
तो वह करै चहै मन जोई॥

कृपा करहु मो पर महारानी।
सिद्धि करिय अम्बे मम बानी॥
जो नर धरै मातु कर ध्यान।
ताकर सदा होय कल्याण॥

विपत्ति ताहि सपनेहु नहीं आवै।
जो देवी कर जाप करावै॥
जो नर कहं ऋण होय अपारा।
सो नर पाठ करै शत बारा॥

निश्चय ऋण मोचन होई जाई।
जो नर पाठ करै मन लगाई॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावे।
या जग में सो बहु सुख पावे॥

जाको व्याधि सतावै भाई।
जाप करत सब दूरि पराई॥
जो नर अति बन्दी महं होई।
बारह हजार पाठ कर सोई॥

निश्चय बन्दी ते छुटि जाई।
सत्य बचन मम मानहु भाई॥
जा पर जो कछु संकट होई।
निश्चय देबिहि सुमिरै सोई॥

जो नर पुत्र होय नहीं भाई।
सो नर या विधि करे उपाय॥
पाँच वर्ष सो पाठ करावै।
नवरात्र में विप्र जिमावै॥

निश्चय होय प्रसन्न भवानी।
पुत्र देहि ताकहं गुण खानी॥
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै।
विधि समेत पूजन करवावै॥

नित प्रति पाठ करै मन लगाई।
प्रेम सहित नहीं आन उपाई॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा।
रंक पढ़त होवे अवनीसा॥

यह जनि अचरज मानहु भाई।
कृपा दृष्टि तापर होई जाई॥

जय जय जय जगमातु भवानी।
कृपा करहु मो पर जन जानी॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 3 April 2025 at 12:04 IST