अपडेटेड 6 September 2025 at 11:41 IST

Anant Chaturdashi 2025 Vrat Katha: आज अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत कथा सुनने से दूर होंगी सभी परेशानियां, जरूर पढ़ें

Anant Chaturdashi 2025 Vrat Katha: आज अनंत चतुर्दशी पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश की विदाई की जाती है। इसलिए इस दिन को गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत कथा सुनने का विशेष विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Anant Chaturdashi 2025 Vrat Katha | Image: Canva

Anant Chaturdashi 2025 Vrat Katha: आज अनंत चतुर्दशी पूरे देशभर में मनाया जा रहा है। आज पूरे विधिवत रूप से भगवान गणेश का विसर्जन किया जाएगा। पंचांग के हिसाब से हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन कोई भी काम करना शुभ माना जाता है। 

अब ऐसे में इस दिन जो भक्त व्रत रख रहे हैं, उन्हें व्रत कथा जरूर पढ़ना चाहिए। 

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

अनंत चतुर्दशी के दिन जरूर पढ़ें व्रत कथा

एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया। यह यज्ञ बहुत ही भव्य और अद्भुत था। यज्ञ मंडप को इस प्रकार सजाया गया था कि वहाँ जल की जगह थल और थल की जगह जल का भ्रम होता था। कई लोग उस स्थान की सजावट से भ्रमित होकर गिर चुके थे। इसी भ्रम में दुर्योधन भी एक जलकुंड में गिर पड़ा। यह देखकर द्रौपदी ने उसका मजाक उड़ाया और कहा कि 'अंधे का पुत्र अंधा ही होता है।'

द्रौपदी की इस कटु बात से दुर्योधन बहुत अपमानित हुआ। उसने इस अपमान का बदला लेने के लिए युधिष्ठिर को जुआ खेलने के लिए बुलाया और छल से उन्हें हराकर पांडवों को 12 वर्षों का वनवास दे दिया।

वनवास के दौरान पांडवों को अनेक कष्ट झेलने पड़े। एक दिन भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से मिलने आए। युधिष्ठिर ने अपनी सारी परेशानी उन्हें बताई और इस संकट से निकलने का उपाय पूछा।

तब श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत से खोया हुआ राज्य भी वापस मिल सकता है।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई कि प्राचीन काल में एक ब्राह्मण की बेटी सुशीला का विवाह कौण्डिन्य ऋषि से हुआ। विवाह के बाद वे दोनों आश्रम की ओर जा रहे थे। रात होने पर वे नदी किनारे विश्राम करने लगे। वहां सुशीला ने कुछ स्त्रियों को व्रत करते देखा और उनसे अनंत व्रत का महत्व जाना। उसने 14 गांठों वाला डोरा बनाकर अपने हाथ में बांध लिया।

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जब कौण्डिन्य ऋषि ने उसके हाथ में डोरा देखा और सुना कि यह अनंत भगवान के व्रत का प्रतीक है, तो वे नाराज हो गए और डोरे को आग में जला दिया। इससे अनंत भगवान का अपमान हुआ और ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई।

तब ऋषि को अपने गलती का एहसास हुआ। वे भगवान अनंत की खोज में जंगलों में भटकने लगे। उसके बाद भगवान ने दर्शन दिए और कहा कि 'तुम्हारे अपमान के कारण तुम्हें यह कष्ट मिला, पर अब मैं प्रसन्न हूं। 14 वर्षों तक व्रत करो, सारे दुख दूर हो जाएंगे।'

ऋषि ने व्रत किया और सभी कष्ट समाप्त हो गए। उसी तरह युधिष्ठिर ने भी अनंत चतुर्दशी का व्रत किया और इससे पांडवों ने महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 6 September 2025 at 11:41 IST