अपडेटेड 8 December 2025 at 12:58 IST
'वंदे मातरम् राजनीतिक मंत्र नहीं बल्कि मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी', राष्ट्रगीत के 150वीं वर्षगांठ पर संसद में बोले PM Modi
लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, ‘वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है। जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था।
‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में चर्चा शुरू हो गई है। पीएम मोदी ने लोकसभा में इस बहस की शुरुआत की। इस बहस से राष्ट्रीय गीत के बारे में कई महत्वपूर्ण और अज्ञात तथ्यों के सामने आने की उम्मीद है। संसद में वंदे मातरम् पर इस चर्चा के दौरान हंगामे के भी आसार हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही कांग्रेस पर गीत के छंद हटाने का आरोप लगाया है। इस बहस के लिए 10 घंटे का समय आवंटित किया गया है।
इस बहस में दूसरे वक्ता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह होंगे। बहस की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं सभी का आभार करता हूं कि हमने इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक सामूहिक चर्चा का रास्ता चुना है। जिस मंत्र, जिस जयघोष ने देश के आजादी के आंदोलन को ऊर्जा, प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था उस वंदे मातरम् का स्मरण करना हम सबका सौभाग्य है। हमारे लिए गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के इस ऐतिहासिक अवसर के हम साक्षी बन रहे हैं।’
वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है: पीएम मोदी
लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, ‘वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है। जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया।’
‘मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी’
पीएम ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था। सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था। आजादी की लड़ाई, इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी। मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी। अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया। सबसे पहले बंगाल तोड़ने का काम किया।
अंग्रेज जानते थे कि बंगाल टूटा तो देश टूट जाएगा। अंग्रेजों ने बंगाल को प्रयोगशाला बनाया। अंग्रेज भारत को टुकड़ों में बांटना चाहते थे। बंगाल चट्टान की तरह खड़ा था। वंदे मातरम् के शब्दों से अंग्रेज डर गए। इस पर रोक लगा दी गई। वंदे मातरम् बोलने पर सजा दी जाती थी। प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरे। वंदे मातरम् कहते-कहते लोग फांसी पर चढ़ गए।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 8 December 2025 at 12:58 IST