अपडेटेड 10 January 2024 at 16:44 IST

दुनिया भर में स्‍वाद का डंका बजा रहा ओडिशा की लाल चींटी की चटनी, इन राज्यों में मजे से खाते हैं लोग

वैसे तो इस चटनी को मुख्य रूप से ओडिशा के मयूरभंज डिस्ट्रिक्ट में खाया जाता है। इसके अलावा ये चटनी झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी मशहूर है।

लाल चींटी की चटनी को मिला जीआई टैग | Image: Social Media

Chutney of Red Ant: लाल चींटीे से कई लोग खौफ खाते हैं। घर में लाल चींटी आने से लोग परेशान हो जाते हैं। लेकिन अगर इन्हीं लाल चीटिंयो की अगर कोई चटनी बनाकर खाए तो? सुनने में आपको थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन ऐसा सच में होता है।

खबर में आगे पढ़ें…

  • लाल चींटी की चटनी को मिला GI टैग
  • कहां-कहां खाई जाती है ये चटनी? 
  • चटनी की खासियत क्या है?

इस चटनी को ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के लोग बड़े ही चाव से खाते हैं। अब यह लाल चींटी की चटनी इस वजह से सुर्खियों में है क्योंकि इसे हाल ही में जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग भी मिला है।

झारखंड-छत्तीसगढ़ में भी मशहूर

वैसे तो इस चटनी को मुख्य रूप से ओडिशा के मयूरभंज डिस्ट्रिक्ट में खाया जाता है। इसके अलावा ये चटनी झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी काफी मशहूर है।

ऐसे तैयार की जाती है यह चटनी

इस चटनी को बनाने के लिए चींटियों और उनके अंडों को उनके घोंसले से इकट्ठा किया जाता है। इस्तेमला करने से पहले चींटियों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। चीटियों को लहसुन और मिर्च के साथ पीसा जाता है और सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसे मुसल में दोबारा पीस जाता हैं। फिर टमाटर, धनिया, नमक इत्यादि डालकर चटनी को तैयार किया जाता है।

कई बीमारियों से बचाव में करती है मदद

चटनी स्वाद में काफी तीखी होती है। साथ ही यह चटनी पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत मानी जाती है। इससे कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। वहीं, इसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन-बी12, मैग्नीशियम भारी मात्रा में पाया जाता है। कहा जाता है कि यह कई बीमारियों से बचाव करने में मदद करती है। इससे दिल से लेकर नवर्स सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। इसका सेवन करने से डिप्रेशन, थकान जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है।

किसी एक क्षेत्र में मशहूर किसी उत्पाद की ख्याति जब दुनियाभर में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने की एक प्रक्रिया होती है। इसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर कहा जाता हैं। बता दें कि लाल चींटी की चटनी के अलावा ओडिशा के 7 उत्पादों को जीआई टैग मिला है। इसमें  खजूरी गुड़ (खजूर गुड़), ढेंकनाल मगजी, नयागढ़ कांटीमुंडी बैगन और डोंगरिया कोंध कढ़ाई वाली शॉल शामिल हैं।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं।  REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 10 January 2024 at 16:44 IST