अपडेटेड 16 October 2024 at 19:31 IST
Plant Based Protein: वजन कम करना होगा अब आसान, डॉक्टर ने बताया प्लांट बेस्ड प्रोटीन के फायदे
प्लांट बेस्ट प्रोटीन के सेवन से शरीर की प्रोटीन संबंधी जरूरत पूरी होती है और वजन भी नियंत्रित रहता है...
बात अगर वजन नियंत्रण की हो तो नियमित व्यायाम और पौष्टिक भोजन की भूमिका सबसे अहम होती है। पौष्टिक भोजन की इस श्रेणी में सबसे ऊपर नाम आता है प्लांट बेस्ड प्रोटीन का। प्लांट बेस्ट प्रोटीन यानी फलों, सब्जियों और दालों आदि से मिलने वाला प्रोटीन। शोध बताते हैं कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन कई तरह से वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन के प्रमुख स्रोत मटर, फली वाली सब्जियां, दालें, मूंगफली, टोफू, सोया, चिया सीड्स, कद्दू के बीज, नट्स और ब्रोकली एवं पालक जैसी सब्जियां हैं।
इनके सेवन से शरीर की प्रोटीन संबंधी जरूरत पूरी होती है और वजन भी नियंत्रित रहता है। ये लेख क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, आर्टेमिस लाइट, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली की डॉक्टर संगीता तिवारी द्वारा दिए गए इनपुट्स से बनाया गया है।
मिलता है जरूरी पोषण
प्लांट बेस्ड प्रोटीन के जितने स्रोत हैं, वे आमतौर पर विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स के भी अच्छे स्रोत होते हैं। इनके सेवन से पेट भरा हुआ अनुभव होता है, जिससे बार-बार खाने की इच्छा नहीं होती है। इससे व्यक्ति की खुराक सही रहती है और अनावश्यक खुराक के कारण वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता। साथ ही इनके सेवन से स्वास्थ्य को सही रखने और वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
कैलोरी बर्निंग में मिलती है मदद
शोध बताते हैं कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन को पचाने के लिए व्हे प्रोटीन की तुलना में ज्यादा कैलोरी बर्न होती है। इसे थर्मोजेनिक इफेक्ट कहते हैं। अध्ययन के अनुसान, प्लांट बेस्ड प्रोटीन का थर्मल इफेक्ट 20 से 30 प्रतिशत तक होता है यानी प्लांट बेस्ड प्रोटीन के पाचन से मिलने वाली कैलोरी का 20 से 30 प्रतिशत उसी को पचाने की प्रक्रिया में बर्न हो जाता है। इससे भी वजन कम करने में मदद मिलती है। प्रोटीन के अन्य स्रोत के मामले में ऐसा नहीं है। उनका थर्मल इफेक्ट कम होता है।
सैचुरेटेड फैट भी होता है कम
एनिमल प्रोटीन स्रोतों की तुलना में प्लांट बेस्ड प्रोटीन के स्रोतों में सैचुरेटेड फैट कम होता है। सैचुरेटेड फैट का सेवन ज्यादा हो तो वजन बढ़ने और मोटापे का खतरा रहता है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन से यह खतरा कम होता है। इसके अलावा प्लांट बेस्ड प्रोटीन के कुछ स्रोत में प्रीबायोटिक फाइबर होते हैं, जिससे पेट के लिए फायदेमंद गट बैक्टीरिया को बढ़ावा मिलता है। यह स्थापित तथ्य है कि अगर पेट सही रहे तो वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।
होती है एंटी इनफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी
इन सब खूबियों के साथ-साथ प्लांट बेस्ड प्रोटीन के स्रोतों में एंटी इनफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी भी होती है। ऐसा इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की वजह से होता है। अध्ययन बताते हैं कि शरीर में क्रोनिक इनफ्लेमेशन का वजन बढ़ने और मोटापे से सीधा संबंध है। ऐसे में प्लांट बेस्ड प्रोटीन के सेवन से यह खतरा कम हो जाता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 15 October 2024 at 13:59 IST