अपडेटेड 18 November 2021 at 16:14 IST

Surrogacy: प्रीति जिंटा सरोगेसी की मदद से बनी 46 की उम्र में मां, जानिए क्या होती है पूरी प्रक्रिया?

आज मशहूर अदाकारा प्रीति जिंटा (Preity Zinta) ने सरोगेसी की मदद से जुड़वां बच्चों का स्वागत किया है।

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हर औरत के लिए मां (Pregnant woman) बनना काफी खास होता है। जबकि ज्यादातर औरते खुद ही गर्भवती (Pregnancy) होकर बच्चे पैदा करना पसंद करती हैं, वही इन दिनों सरोगेसी (Surrogacy) का चलन भी काफी बढ़ता जा रहा है। इस तकनीक ने उन महिलाओं के लिए मां बनना मुमकिन कर दिया है जो स्वास्थ्य और निजी कारणों के चलते खुद अपने कोख में बच्चा नहीं रख सकतीं। 

आज मशहूर अदाकारा प्रीति जिंटा (Preity Zinta) ने सरोगेसी की मदद से जुड़वां बच्चों का स्वागत किया है। उनसे पहले एकता कपूर, तुषार कपूर, लिसा रे और सनी लियोन जैसे कलाकारों ने भी सरोगेट मां का इस्तेमाल करते हुए पैरेंट बनने की खुशी हासिल की है। साथ ही, बॉलीवुड में भी सरोगेसी के ऊपर कई फिल्में आ चुकी हैं जिसमें हालिया रिलीज कृति सेनन की ‘मिमी’ ने खूब सूर्खियां बटोरी थी। तो आखिर क्या है सरोगेसी (What is surrogacy) और ये कैसे करता है काम (how surrogacy works), आइए जानते हैं- 

सरोगेसी क्या होता है?

सरोगेसी का सीधा सा मतलब है- दूसरे के बच्चे को अपनी कोख में पालना। बहुत सी ऐसी महिलाएं होती हैं जो दूसरों के लिए सरोगेट मदर (surrogate mother) बनती हैं और इसके लिए उन्हें काफी पैसे मिलते हैं। साफ शब्दों में कहे तो ‘किसी महिला की कोख को किराए पर लेना ही सरोगेसी कहलाती है’। इसमें सबसे खास बात ये है कि एक महिला को अपने कोख में बच्चा पालने के लिए कोई शारीरिक संबंध बनाने की जरूरत नहीं होती। 

दो तरह की होती है सरोगेसी-

ट्रेडिशनल सरोगेट (Traditional surrogate) 

इसमें सरोगेट मदर ही आर्टिफिशियल तरीके से पिता के स्पर्म (sperm) के साथ गर्भाधान करती है। इसमें सरोगेट महिला ही बच्चे की जैविक मां (biological mother) होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका ही एग पिता के स्पर्म के साथ मिलाया जाता है। इसमें डोनर स्पर्म (donor sperm) भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, बच्चे को जन्म देने के बाद सरोगेट उसे कपल के पास छोड़कर चली जाती है। 

गेस्टेशनल सरोगेट (Gestational surrogate)

"इन विट्रो फर्टिलाइजेशन" (IVF) नामक एक तकनीक से ये संभव हो पाता है। ये पूरी प्रक्रिया लैब में होती है। इसमें महिला के शरीर से एग निकाल कर सुई के जरिए उसमें स्पर्म डाला जाता है और जब भ्रूण (embryo) तैयार हो जाता है तो इसे एक मेडिकल ट्यूब के जरिये सरोगेट गर्भाशय (Uterus) में ​डाल दिया जाता है। इसमें सरोगेट का बच्चे से कोई संबंध नहीं होता, वह बस उसे 9 महीने अपनी कोख में पालती है। 

लाखों में आता है खर्चा

बता दें कि सरोगेट मदर और दंपत्ति के बीच एक खास एंग्रीमेंट भी किया जाता है। सरोगेट मदर को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ख्याल रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए तो पैसे दिए जाते ही हैं, साथ ही, इसके अलावा भी महिला सरोगेसी के लिए अलग से एक अमाउंट चार्ज करती है। इसमें कम से कम 10-15 लाख रुपए का खर्चा आता है और विदेशों में तो सरोगेसी की प्रक्रिया और भी महंगी होती है।

(Disclaimer- इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सामान्य जानकारी पर आधारित हैं। रिपब्लिक भारत इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन बातों पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 18 November 2021 at 15:58 IST