अपडेटेड 20 December 2024 at 14:13 IST

वर्ल्ड मेडिटेशन डे: जानें रूपध्यान मेडिटेशन का सही तरीका

वर्ल्ड मेडिटेशन डे: जानें रूपध्यान मेडिटेशन का सही तरीका

Follow :  
×

Share


Roop Dhyan Meditation | Image: Roop Dhyan Meditation

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा बताये गए रूपध्यान मेडिटेशन से शारीरिक और मानसिक लाभ के साथ आध्यात्मिक कल्याण भी होता है। 

 

आज पूरी दुनिया मान रही है कि हमारे सर्वांगीण विकास की कुंजी मेडिटेशन या ध्यान ही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भारत समेत अन्य देशों के प्रस्ताव पर वर्ल्ड मेडिटेशन डे की घोषणा की गयी है। हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है और इसके ठीक छ: महीने बाद 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाया जायेगा।

 

यह भारत के लिए गर्व का विषय है। भारतीय वेदों और पुराणों में ये बात हज़ारों वर्षों पहले ही बता दी गयी थी। इसके साथ ही सनातन ग्रंथों में ध्यान के प्रकार, उनका तरीका और उनका लाभ बहुत विस्तार से लिखा गया है। 

 

विश्व में ध्यान के कई प्रकार, जैसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन, एकाग्रता ध्यान, मंत्र ध्यान आदि प्रचलित हैं परंतु वो ध्यान का तरीका जो सबसे कारगर सिद्ध हुआ है उसे रूपध्यान मेडिटेशन कहा जाता है जो इस विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा बताया गया है। 

 

इस लेख में हम आपको रूपध्यान मेडिटेशन के बारे में विस्तार से बताएंगे। जानिए क्या है रूपध्यान मेडिटेशन, इसे कैसे किया जाता है और इससे आपको क्या लाभ मिल सकते हैं।

 

क्यों करें रूपध्यान मेडिटेशन?

 

आज हर व्यक्ति के जीवन को तनाव ने घेर रखा है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए मेडिटेशन हमारे जीवन का एक आवश्यक पहलू बन जाता है। वैसे भी साल 2024 के विश्व ध्यान दिवस की थीम 'आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव' है। 

 

इसके साथ ही वेद से रामायण तक सारे धर्म ग्रंथों में लिखा है कि भगवान् की भक्ति करने में ध्यान प्रमुख अंग है। यह सब बातें हमें रूपध्यान मेडिटेशन को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। 

 

क्या है रूपध्यान मेडिटेशन?

 

अपने चंचल मन को एक जगह रोकना तो कई मायनो में असंभव है। इसीलिए मन पर काबू पाने के लिए संत-महात्माओं से उसे भगवान् की ओर मोड़ने का तरीका बताया है। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज उदाहरण देकर कहते हैं कि अगर साईकिल चलती रहे तो आप उसको बड़ी आसानी से दाएं या बाएं मोड़ सकते हैं पर साईकिल को एक जगह खड़ा करके संतुलन बनाना आम व्यक्ति के लिए असंभव ही है। इसी तरह हमारा मन है। 

 

मन को स्थिर करने एवं आनंद प्रदान करने के लिए रूपध्यान मेडिटेशन का सहारा लिया जाता है क्योंकि वो रूप ही है जिसमें हमारा मन सबसे आसानी से लग जाता है। संसार में भी हम जब किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले उसकी छवि ही हमारे मन-मस्तिष्क में आती है। फिर भगवान् के रूप का कहना ही क्या। जैसे-जैसे उनके दिव्य रूप में हमारा मन लगता जायेगा, हमारा ध्यान दृढ़ होता जायेगा एवं हमें असीम शांति और सुख की अनुभूति होगी।

 

कैसे करें रूपध्यान मेडिटेशन?

 

यदि आपको किसी मंदिर के श्री राधा-कृष्ण की छवि अच्छी लगती है या भगवान् की कोई फोटो बहुत सुन्दर लगती है तो आप श्री राधा-कृष्ण के उस रूप का ध्यान करें। पहले आँखें खोल कर उस मूर्ति को अच्छे से देख लें, उसकी छवि को मन में उतार लें और फिर आँखें बंद करके उसी का ध्यान बनाने का अभ्यास करें। याद रहे कि यह ध्यान एकदम से नहीं बन जायेगा पर अभ्यास से यह धीरे-धीरे आसान लगने लगेगा। आप मन से भी भगवान् का रूप बना सकते हैं। कुछ लोग अपने गुरु के रूप का भी ध्यान करते हैं जो शास्त्रों वेदों में उचित बताया गया है। 

 

भगवान् के रूप के साथ-साथ आप श्री राधा-कृष्ण के दया, कृपा आदि गुणों और उनकी मधुर लीलाओं का ध्यान कर सकते हैं। श्रीमद्भागवत में श्री राधा-कृष्ण की कई लीलाएं वर्णित हैं। इसी प्रकार जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने ‘प्रेम रस मदिरा’ और ‘ब्रज रस माधुरी’ आदि में हज़ारों पद व संकीर्तन प्रकट किये हैं जिनकी सहायता से भी रूपध्यान किया जा सकता है। आप अपने मन से नई-नई लीलाएँ बनाकर भी रूपध्यान कर सकते हैं जैसे श्री राधा-कृष्ण आपके साथ वन विहार या जल विहार कर रहे हैं, नाव में सखियों के साथ मिलकर आप श्री कृष्ण पर जल की बौछार कर रहे हैं, वो भी आप पर जल डाल रहे हैं इत्यादि। 

 

तात्पर्य यह कि इन लीलाओं के ध्यान में हमें डरना नहीं है कि भगवान् के साथ हम क्रीड़ा कैसे कर सकते हैं, यह तो अपराध हो जायेगा। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज शास्त्रों वेदों का प्रमाण देकर बताते हैं कि भगवान् से हमारे सब सम्बन्ध हैं। वे हमारे स्वामी, सखा, माता-पिता, भाई-बहन, पुत्र, प्रियतम सब हैं। इसीलिए रूपध्यान के समय हमें किसी प्रकार का कोई संकोच नहीं करना चाहिए। 

 

रूपध्यान मेडिटेशन के लाभ 

 

जब आप इस प्रकार नित नई लीलाओं एवं उनके गुणों के चिंतन द्वारा श्री राधा-कृष्ण में अपना मन लगायेंगे और उनसे प्रेम बढ़ाने का प्रयास करेंगे तो आपकी सभी शारीरिक और मानसिक चिंताएँ दूर हो जाएँगी। इसके साथ ही आपका भगवान् से प्रेम बहुत तीव्र गति से बढ़ता जायेगा और किसी सच्चे संत की अनुकम्पा द्वारा आप एक दिन श्री राधा-कृष्ण को प्राप्त करके सदा-सदा के लिए चौरासी लाख योनियों के इस दु:खमय आवागमन से छूटकर भगवान् के नित्य लोक को प्राप्त करेंगे।

 

Published By : Hindi Seo

पब्लिश्ड 20 December 2024 at 14:13 IST