अपडेटेड 13 May 2025 at 20:41 IST

वैज्ञानिक शोध से प्रमाणित: पतंजलि कोरोनिल के लाभ, तथ्य और मिथक से परे

पतंजलि कोरोनिल को लेकर जो विवाद हुआ, उसने बहुत से लोगों को भ्रमित कर दिया है। कुछ का मानना है कि यह कोई प्रभावी उपचार नहीं है और यह केवल एक मार्केटिंग योजना है।

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Patanjali Coronil | Image: Patanjali Coronil

पतंजलि कोरोनिल को लेकर जो विवाद हुआ, उसने बहुत से लोगों को भ्रमित कर दिया है। कुछ का मानना है कि यह कोई प्रभावी उपचार नहीं है और यह केवल एक मार्केटिंग योजना है लेकिन नई वैज्ञानिक प्रकाशनों और शोधों ने इस मिथक को तोड़ते हुए कोरोनिल के स्वास्थ्य लाभों का मजबूत समर्थन किया है। विशेष रूप से, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और वायरल संक्रमण से लड़ने में इसकी भूमिका पर शोध हुआ है।

कई वैज्ञानिक अध्ययनों में कोरोनिल के हर्बल घटकों की जांच की गई है, और इनके फॉर्मूलों के फेनोमेनल प्रभाव सामने आए हैं। उदाहरण के तौर पर, अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में दिखाया गया है कि गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) और अश्वगंधा (विथानिया सोम्निफेरा) जैसी जड़ी-बूटियों में वायरस को रोकने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के गुण हैं। ये गुण कोविड-19 जैसी बीमारियों के नियंत्रण में मददगार हो सकते हैं। इन निष्कर्षों ने पारंपरिक दावों को वैज्ञानिक समर्थन दिया है।

साथ ही, क्लीनिकल ट्रायल्स में भी कोरोनिल के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। एक अध्ययन में कोविड-19 के मरीजों का कोरोनिल के साथ इलाज किया गया, और पाया गया कि इन मरीजों में लक्षण जल्दी कम हुए, ऑक्सीजन संतृप्ति बढ़ी और वायरस अधिक तेजी से समाप्त हुआ। इन परिणामों को भी मान्यता मिली है और इन्हें भी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है। यह संकेत देता है कि कोरोनिल का उपयोग कोविड-19 के इलाज में सहायक हो सकता है।

इसके अलावा, लैबोरेटरी में किए गए अध्ययन यह भी दिखाते हैं कि कोरोनिल की जड़ी-बूटियों में सूजनरोधी और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण मौजूद हैं, जो संक्रमण से लड़ने के लिए जरूरी हैं। इन जड़ी-बूटियों का संयोजन शरीर की स्वाभाविक रक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, यह तथ्य भी वैज्ञानिक प्रयोगों और फाइटोकैमिकल एनालिसिस से साबित है।

हालांकि, यह जरूरी है कि बड़े पैमाने पर और अधिक शोध और व्यापक क्लीनिकल ट्रायल किए जाएं, फिर भी मौजूदा वैज्ञानिक साक्ष्य कोरोनिल की प्रभावशीलता को नकारने का नहीं हैं। ये अध्ययन कोरोनिल के लाभों का तथ्यात्मक आधार प्रस्तुत करते हैं, और मिथकों से ऊपर उठकर इसे एक भरोसेमंद विकल्प बनाते हैं। यह दिखाता है कि जब पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक जांच के तहत परखा जाता है, तो उसमें भी नई संभावनाएं खोजी जा सकती हैं।

अंत में, यह कहना गलत होगा कि कोरोनिल का कोई फायदा नहीं है। वैज्ञानिक अनुसंधान इसकी पुष्टि कर रहे हैं और जैसे-जैसे और डेटा आएगा, इसकी विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। यह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु का काम करेगा, और स्वास्थ्य क्षेत्र में नई उम्मीदें जगाएगा।

Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 13 May 2025 at 20:41 IST