अपडेटेड 9 May 2025 at 13:49 IST
पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग: स्वस्थ और सतत खेती का मार्ग
पतंजलि का पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रयास किसानों को जागरूक बनाने के साथ-साथ उन्हें जैविक खेती की विधियों से जोड़ रहा है।
पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग एक ऐसी पहल है जिसने किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए नई उम्मीदें बांधी हैं। पारंपरिक खेती के मुकाबले, यह तरीका रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त होकर प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करने पर केंद्रित है। इससे न केवल फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी स्थायी रूप से बनी रहती है। ऑर्गेनिक खेती का मुख्य उद्देश्य है कि हम ऐसी खेती करें जो हमारे पोषण स्तर को बढ़ाए और पर्यावरण को सुरक्षित बनाए।
पतंजलि का यह प्रयास किसानों को जागरूक बनाने के साथ-साथ उन्हें जैविक खेती की विधियों से जोड़ रहा है। इसमें प्राकृतिक खाद, जड़ी-बूटियों, और परंपरागत तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इससे न केवल फसलों की उपज बढ़ती है, बल्कि यह किसानों के जीवनस्तर में भी सुधार लाता है। ऑर्गेनिक खेती से उत्पादित भोजन में रासायनिक पदार्थों की मात्रा न होने के कारण स्वास्थ्य के लिहाज से यह अधिक विश्वसनीय माना जाता है। इसके साथ ही, यह खेती जल संसाधनों का संरक्षण भी करती है और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने में मददगार होती है।
पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग बड़ा लाभ
पतंजलि की यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ स्वच्छ और स्वस्थ जीवनशैली का भी प्रचार कर रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ता है और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित होता है। यह खेती प्रणाली पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का संयोजन है, जो स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देती है। इस तरह, पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग हमारे समाज को स्वस्थ और सतत विकास की दिशा में ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 9 May 2025 at 13:49 IST