अपडेटेड 12 May 2025 at 14:31 IST
पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग: पर्यावरण के प्रति जागरूकता और स्वच्छ खेती का विकल्प
पतंजलि की इस पहल से न केवल किसान आत्मनिर्भर बनते हैं, बल्कि पूरा समाज भी स्वस्थ और स्वच्छ जीवन की ओर कदम बढ़ाता है।
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवनशैली की खोज में पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग एक नई दिशा प्रस्तुत कर रही है। यह खेती का ऐसा तरीका है जिसमें रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और हानिकारक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। यह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए फसलों को उगाने का एक तरीका है, जिससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है बल्कि जल और वायु प्रदूषण में भी कमी आती है। इस प्रणाली में जैविक खाद का प्रयोग और परंपरागत खेती की विधियों को अपनाया जाता है, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं।
पतंजलि का यह अभियान किसानों को जागरूक बनाता है कि कैसे वे अपनी जमीन को रासायनिक मुक्त कर सकते हैं और प्राकृतिक तरीकों से फसलों का उत्पादन कर सकते हैं। इससे फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है और बाजार में इनकी मांग भी बढ़ती है। जैविक खेती से उत्पादित भोजन पोषण से भरपूर होता है, और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। खास बात यह है कि यह खेती जल संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित करती है, क्योंकि इसमें सिंचाई के तरीके भी जल की बर्बादी को कम करने वाले होते हैं।
पतंजलि की इस पहल से न केवल किसान आत्मनिर्भर बनते हैं, बल्कि पूरा समाज भी स्वस्थ और स्वच्छ जीवन की ओर कदम बढ़ाता है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ-साथ यह कदम प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को प्रोत्साहित करता है। यह कृषि प्रक्रिया आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक जड़ें दोनों का मेल है, जो टिकाऊ विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह, पतंजलि ऑर्गेनिक फार्मिंग हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाने का सपना दिखाती है, जो पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है।
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 12 May 2025 at 14:31 IST