अपडेटेड 30 November 2025 at 16:55 IST

Patanjali Research: पतंजलि का आंवला बीज शोध, आयुर्वेदिक विज्ञान में क्रांतिकारी उपलब्धि

Patanjali Research: आयुर्वेद को वैज्ञानिक आधार देने की दिशा में पतंजलि ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। सदियों से उपयोग किए जा रहे आंवला फल के गूदे के बजाय अब पहली बार उसके बीज के औषधीय गुणों को प्रमाणित कर वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई गई है। पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट की इस खोज ने न केवल आयुर्वेदिक विज्ञान को नया आयाम दिया, बल्कि किसानों, पर्यावरण और निर्यात क्षेत्र के लिए भी नए अवसर खोले हैं।

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Patanjali Research | Image: Patanjali

Patanjali Research: आंवला सदियों से भारतीय आयुर्वेद की शक्ति का आधार रहा है। हम सभी जानते हैं कि आंवला विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट और रोग प्रतिरोधक गुणों से भरपूर होता है, लेकिन परंपरागत रूप से केवल आंवला फल के गूदे का ही उपयोग किया जाता था। बीज को बेकार समझकर हमेशा फेंक दिया जाता था। इसी सोच को बदलते हुए पतंजलि ने वैज्ञानिक तरीकों से आंवला बीज के औषधीय गुणों की खोज कर इतिहास रच दिया।

आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट ने आंवला बीज के फाइटोकेमिकल अध्ययन की शुरुआत की। शोध में पता चला कि आंवला बीज में फल की तुलना में कई गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट, ओमेगा फैटी एसिड, लिनोलेइक एसिड, क्वेरसेटिन, कैटेचिन, गैलिक एसिड, फ्लेवोनॉयड्स और सैपोनिन पाए जाते हैं।

आंवला बीज से विकसित प्रमुख औषधीय उत्पाद:

  • हृदय रोगों के लिए पोषक कैप्सूल
  • त्वचा और बालों के लिए फाइटोन्यूट्रिएंट ऑयल
  • मानसिक तनाव और सूजन कम करने वाली हर्बल टैबलेट्स
  • मधुमेह प्रबंधन के लिए एंटीडायबेटिक सप्लीमेंट

इस शोध को भारत सरकार, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष, सीएसआईआर और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा सम्मानित किया गया। इससे आयुर्वेदिक विज्ञान के क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और मजबूत हुई है।

इस खोज ने देश को तीन स्तरों पर लाभ पहुंचाया:

1. किसान सशक्तिकरण:

  पहले आंवला बीज खेतों में फेंक दिए जाते थे, लेकिन अब पतंजलि इन्हें खरीद रहा है। इससे 70,000 से अधिक किसानों को अतिरिक्त आय का नया स्रोत मिला है।

2. पर्यावरण संरक्षण:
  बीज का उपयोग कर शून्य-अपशिष्ट हर्बल खेती को बढ़ावा दिया गया है।

3. वैज्ञानिक शोध और निर्यात:

आंवला बीज आधारित आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात अमेरिका, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया में शुरू हो चुका है।

आज पतंजलि की यह शोध उपलब्धि भारतीय आयुर्वेद को वैज्ञानिक, आधुनिक और वैश्विक स्वरूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है।

Published By : Kirti Soni

पब्लिश्ड 30 November 2025 at 16:55 IST