अपडेटेड 12 December 2025 at 17:03 IST

ऑर्गेनोवेज बाय पतंजलि: शुद्ध, सुरक्षित और सतत खाद्य संस्कृति की ओर एक क्रांतिकारी पहल

भारत में उपभोक्ताओं की खाने की पसंद तेजी से बदल रही है। इसी बदलते खाद्य वातावरण के बीच पतंजलि ने देश में रसायन-मुक्त और वास्तविक ऑर्गेनिक फूड की जरूरत को समझते हुए नई पहल ‘ऑर्गेनोवेज’ की शुरुआत की है। यह पहल न केवल ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देती है, बल्कि किसानों को सशक्त बनाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

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Patanjali Organovez | Image: Patanjali

भारत में उपभोक्ताओं की खाने की पसंद तेजी से बदल रही है। अब लोग केवल स्वाद नहीं, बल्कि भोजन की शुद्धता, सुरक्षा और पोषण को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। इसी बदलते खाद्य वातावरण के बीच पतंजलि ने देश में रसायन-मुक्त और वास्तविक ऑर्गेनिक फूड की जरूरत को समझते हुए नई पहल ‘ऑर्गेनोवेज’ की शुरुआत की है। यह पहल न केवल ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देती है, बल्कि किसानों को सशक्त बनाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

भारत का बदलता खाद्य परिदृश्य

भारत का खाद्य परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। आज उपभोक्ता सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि शुद्धता, सुरक्षा, पोषण और भरोसा भी चाहते हैं। रासायनिक खादों, कीटनाशकों, मिलावट और खराब होती मिट्टी की गुणवत्ता के बीच, देश में खरी, वास्तविक और विश्वसनीय ऑर्गेनिक खाद्य सामग्री की मांग लगातार बढ़ रही है। इसी आवश्यकता को समझते हुए और प्राकृतिक, स्वस्थ और सतत भारत के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए पतंजलि ने एक बड़ी पहल की हैऑर्गेनोवेज बाय पतंजलि। यह केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो देश को रसायन-मुक्त, ताज़ा और स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान करने का लक्ष्य रखता है।

ऑर्गेनोवेज क्यों है अनोखा

ऑर्गेनोवेज का मूल वादा है, शुद्ध, ताजा और पूर्णतः रसायन-मुक्त भोजन, सीधे खेतों से आपकी रसोई तक। भारत के ऑर्गेनिक बाजार के बढ़ने के बावजूद उपभोक्ताओं को आज भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे ऑर्गेनिक लेबल की वास्तविकता पर संदेह, असंगठित सप्लाई चेन, किसानों में जागरूकता की कमी और उत्पाद के स्रोत की प्रमाणिकता। ऑर्गेनोवेज इन सभी अंतरालों को पारदर्शी, ट्रैसेबल और वैज्ञानिक व्यवस्था से दूर करता है।

फार्म-टू-फोर्क मॉडल: शुद्धता पर आधारित

1. 100% प्रामाणिक ऑर्गेनिक खेती

ऑर्गेनोवेज से जुड़े किसान शून्य रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग करते हैं। वे जैविक खाद, गो-आधारित इनपुट, प्राकृतिक कृषि तकनीक, फसल चक्र, जल संरक्षण और मिट्टी पुनर्जीवन पर आधारित खेती अपनाते हैं। ये खेत PGS और कई स्थानों पर NPOP प्रमाणित हैं।

2. किसानों का ज्ञान-विकास

पतंजलि के कृषि विशेषज्ञ किसानों को प्राकृतिक खाद, जैविक कीटनाशक तैयार करने, जल-संरक्षण आधारित खेती, गुणवत्तापूर्ण उपज और पोस्ट-हार्वेस्ट तकनीक पर प्रशिक्षण देते हैं। इससे किसानों की उपज और आय दोनों बढ़ती हैं।

3. बहु-स्तरीय गुणवत्ता जांच

उपभोक्ता तक पहुँचने से पूर्व हर उत्पाद उन्नत लैब जांच से गुजरता है। इनमें रासायनिक व कीटनाशक अवशेष, भारी धातुओं की जांच, माइक्रोबियल सुरक्षा, पोषण स्तर, शुद्धता और ताज़गी शामिल होते हैं। इसी वजह से ऑर्गेनोवेज बाजार में सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय श्रेणी बन रहा है।

उपभोक्ता के लिए: शुद्धता की गारंटी

मिलावट और रसायनों से भरे समय में ऑर्गेनोवेज उपभोक्ताओं को 100% रसायन-मुक्त फल, सब्जियाँ और अनाज उपलब्ध कराता है। यह प्राकृतिक पोषक तत्वों का संरक्षण, तेज़ सप्लाई सिस्टम और प्रमाणिक ऑर्गेनिक मानकों की पारदर्शिता देता है। सरल शब्दों में जैसा प्रकृति ने बनाया, वैसा ही भोजन।

पर्यावरण के लिए: सतत समाधान

ऑर्गेनोवेज पतंजलि के पर्यावरणीय संकल्प से पूरी तरह जुड़ा है। यह मिट्टी की उर्वरता में सुधार, रासायनिक बहाव और प्रदूषण में कमी, जैव विविधता की पुनर्स्थापना, कार्बन फुटप्रिंट में कमी और भूजल की स्वच्छता जैसे लाभ प्रदान करता है। यह पहल भारत को एक हरित और स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाती है।

किसानों के लिए: आर्थिक सशक्तिकरण

ऑर्गेनोवेज किसानों के लिए लाभ का नया मार्ग है। इसमें किसानों को पूर्व-निर्धारित और न्यायसंगत कीमतें मिलती हैं। बिचौलियों की समाप्ति, स्थायी बाजार, प्रमाणन प्रक्रिया में सहायता और बेहतर सप्लाई चेन समर्थन से किसानों की आय बढ़ रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।

भविष्य की दिशा

ऑर्गेनोवेज आगे और अधिक जिलों व किसान समूहों तक विस्तार कर रहा है। यह फलों, सब्जियों और अनाज की नई किस्मों के साथ QR और डिजिटल ट्रैसेबिलिटी तकनीक अपनाने और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय वितरण चैनलों को विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसका दीर्घकालिक लक्ष्य है, हर भारतीय घर तक शुद्ध, सुरक्षित और ऑर्गेनिक भोजन पहुंचाना।

Published By : Kirti Soni

पब्लिश्ड 12 December 2025 at 17:03 IST