अपडेटेड 20 December 2024 at 14:31 IST

तबला वादक जाकिर हुसैन सैन फ्रांसिस्को में सुपुर्द-ए-ख़ाक, तालवादक शिवमणि ने संगीतमय विदाई दी

विश्वप्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन को बृहस्पतिवार को सैन फ्रांसिस्को में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।

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Zakir Hussain visited the sets of Mughal-e-Azam when he was 7 years old | Image: X

विश्वप्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन को बृहस्पतिवार को सैन फ्रांसिस्को में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। प्रसिद्ध तालवादक ए. शिवमणि और अन्य कलाकारों ने तबला वादक को श्रद्धांजलि देने के लिए अपने ड्रमों पर प्रदर्शन किया।

दुनिया के सबसे बेहतरीन तबला वादकों में से एक हुसैन का फेफड़ों की बीमारी ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ से उत्पन्न जटिलताओं के कारण सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया था। वह 73 वर्ष के थे। उन्हें बृहस्पतिवार को सैन फ्रांसिस्को के फर्नवुड कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

हुसैन के अंतिम संस्कार में उनके सैकड़ों प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए। शिवमणि और कई अन्य संगीतकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए थोड़ी दूरी पर ड्रम बजाया। शिवमणि ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘ताल ही ईश्वर है, वह (ताल) आप हैं जाकिर भाई। 1982 से लेकर अब तक के हमारे सफर में मैंने बहुत कुछ सीखा है। हर पल आप ताल में हमारे साथ होते हैं। जब भी मैं लय पकड़ता हूं, आप वहां होते हैं। हम आपसे प्यार करते हैं जाकिर भाई। आपकी यात्रा सुखद रहे। कृपया सभी उस्तादों को मेरा प्रणाम कहना।’’

प्रसिद्ध तबला वादक अल्ला रक्खा के बेटे हुसैन ने इस वाद्य में क्रांति ला दी। हुसैन ने तबले की थाप को भारतीय शास्त्रीय संगीत की सीमाओं से निकालकर जैज और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत तक पहुंचाया। भारत के प्रसिद्ध संगीतकारों में से एक हुसैन को छह दशक के करियर में चार ग्रैमी पुरस्कार मिले।

हुसैन के परिवार में पत्नी एंटोनिया मिन्नेकोला, बेटियां अनीसा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं। हुसैन को 1988 में ‘पद्मश्री’, 2002 में ‘पद्म भूषण’ तथा 2023 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया।

अपने छह दशक के करियर में संगीतकार ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया। वर्ष 1973 के अपने एक संगीतमय कार्यक्रम में हुसैन, ब्रिटिश गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल. शंकर और तालवादक टी. एच. ‘विक्कु’ विनायकराम के साथ मिलकर भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज का एक ऐसा ‘फ्यूजन’ रूप लेकर आए, जो अब तक अज्ञात था।

हुसैन के निधन के बाद शिवमणि ने ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में कहा था कि वह उन्हें आखिरी बार देखने के लिए सैन फ्रांसिस्को जाएंगे। शिवमणि ने कहा था, ‘‘नहीं जाकिर भाई, आप हमें ऐसे छोड़कर नहीं जा सकते। यह अविश्वसनीय है... मैं सैन फ्रांसिस्को जा रहा हूं। मैं आपको देखना चाहता हूं... आखिरी बार... मैं आपका हाथ थामना चाहता हूं... मेरे भाई, मेरे गुरु... मैं टूट गया हूं... जिंदगी अब कभी पहले जैसी नहीं रहेगी।’’

हुसैन के निधन की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें एक सच्चा प्रतिभाशाली व्यक्ति बताया, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। ग्रैमी विजेता संगीतकार रिकी केज ने हुसैन को उनकी ‘‘अत्यंत विनम्रता, मिलनसार स्वभाव’’ के लिए याद किया।

Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 20 December 2024 at 14:31 IST