अपडेटेड 7 December 2024 at 12:58 IST

मस्जिदों के नीचे क्या अब नहीं मिलेंगे मंदिर ? सुप्रीम कोर्ट 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' पर करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट 12 दिसबंर को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) | Image: PTI

Challenges to Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट 12 दिसबंर को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की स्पेशल बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। केंद्र सरकार ने नोटिस के तीन साल और 8 महीने बाद भी अब तक इस पर जवाब दाखिल नहीं किया है। हिंदू पक्ष ने 1991 में बने इस कानून को चुनौती दी है।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 जजों की स्पेशल बेंच इस पर सुनवाई करेगा, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच मे जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं।  सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि यह एक्ट लोगों की समानता, जीने के अधिकार और व्यक्ति की निजी आजादी के आधार पर पूजा के अधिकार का हनन करता है।

सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं लगाई गई

हिंदू पक्ष की याचिका मे कहा गया है कि ये एक्ट लोगों के अदालत जाने के मूल अधिकार को भी रोकता है। हालकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका है।  प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के कुछ प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं लगाई गई हैं।  इनमें पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय के अलावा विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ और जमीयत उलेमा हिंद की याचिकाएं भी शामिल हैं।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट1991 क्या है? 

साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने पूजा स्थल कानून बनाय। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था। 

1991 से पहले के धार्मिक स्थल यथास्थित बने रहेेंगे 

1991 का पूजा अधिनियम 15 अगस्त 1947 से पहले सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की बात कहता है। वह चाहे मस्जिद हो, मंदिर, चर्च या अन्य सार्वजनिक पूजा स्थल।  वे सभी उपासना स्थल इतिहास की परंपरा के मुताबिक ज्यों का त्यों बने रहेंगे। मुस्लिम पक्ष की तरफ से जमीयत उलेमा ए हिंद ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन मे याचिका दाखिल की हुई है। 

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 7 December 2024 at 12:58 IST