अपडेटेड 3 February 2024 at 19:18 IST
1947 में क्यों लालकृष्ण आडवाणी नहीं मना पाए आजादी का जश्न? ये है वो किस्सा
Lal Krishna Advani: बहुत ही कम लोग जानते हैं कि जब देश 1947 में आजाद हुआ था और उसका जश्न पूरा हिंदुस्तान मना रहा था, आडवाणी उस जश्न का हिस्सा नहीं बन सके थे।
Lal Krishna Advani Bharat Ratna: लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता, वो समय अलग था जब पार्टी ही नहीं पूरे देश में उनकी छवि और चेहरा बहुत लोकप्रिय था। अभी आडवाणी बीजेपी पार्टी के मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। अभी नरेंद्र मोदी ने जिम्मेदारी का संकल्प पूरा कर सबसे बड़ा सम्मान अपने गुरु आडवाणी को दे दिया है।
देश की सबसे विनम्र हस्तियों में शुमार बीजेपी के लौहपुरुष लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद लाल कृष्ण आडवाणी दूसरे नेता हैं, जिन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को खुद लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की जानकारी दी।
मंडल के दौर में कमंडल की राजनीति का बिगुल बजाने वाले राजनेता और रथ यात्रा के जरिए हिंदुओं में राम मंदिर की अलख जगाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को उस दौर में सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है, जिस दौर में उनका सपना भव्य मंदिर के तौर पर साकार हो चुका है।
आडवाणी नहीं मना पाए आजादी का जश्न
राम मंदिर आंदोलन में आडवाणी की अहम भूमिका रही थी। वो स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे हैं। देश के उप-प्रधानमंत्री भी रहे हैं। हालांकि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि जब देश 1947 में आजाद हुआ था और उसका जश्न पूरा हिंदुस्तान मना रहा था, आडवाणी उस जश्न का हिस्सा नहीं बन सके थे।
वो इसलिए कि आडवाणी का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। 1947 में आजादी के महज कुछ घंटों में ही उन्हें अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा।
आडवाणी ने 12 सितंबर 1947 को घर छोड़ा
बीजेपी की आधिकारिक वेबसाइट पर साझा जानकारी के मुताबिक, करोड़ों लोगों की तरह अफरा-तफरी के माहौल में आडवाणी ने 12 सितंबर 1947 को अपना घर छोड़ा था। वो साथी स्वंयसेवकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए। इस तरह 1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न नहीं मना सके।
बीजेपी की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी में ये भी बताया जाता है कि आडवाणी ने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया, बल्कि इससे इतर उन्होंने मन में देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प लिया। इन घटनाओं ने उन्हें कड़वा या निंदक नहीं बनाया, बल्कि उन्हें एक अधिक धर्मनिरपेक्ष भारत बनाने की इच्छा के लिए प्रेरित किया। अपने विचारों को आगे बढ़ाने क साथ साथ वो आरएसएस प्रचारक के काम में लगे रहे।
लालकृष्ण आडवाणी के बारे में
1980 में बीजेपी के गठन के बाद से ही लाल कृष्ण आडवाणी वो शख्स हैं, जो सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर रहे। बतौर सांसद 3 दशक की लंबी पारी खेली। आडवाणी पहले गृह मंत्री रहे, बाद में अटल वाजपेयी की कैबिनट में (1999-2004) उप-प्रधानमंत्री बने।
1980 से 1990 के बीच आडवाणी ने बीजेपी को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए अपना पूरा समय दिया। परिणाम तब सामने आया, जब 1984 में महज 2 सीटें हासिल करने वाली पार्टी को लोकसभा चुनावों में 86 सीटें मिली। पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 पर पहुंच गई। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और बीजेपी सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी।
लालकृष्ण आडवाणी: एक परिचय
जन्म: 8 नवंबर 1927
पिता का नाम: किशन चंद आडवाणी
माता का नाम: ज्ञानी देवी आडवाणी
1936-1942 तक कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़ाई।
1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वालंटियर के तौर पर हुई।
1944 में कराची के मॉडल हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी।
12 सितंबर 1947 को बंटवारे के बाद सिंध से दिल्ली के लिए रवाना
राजनीति में आडवाणी का प्रवेश नगरपालिका से हुआ।
1957 में अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता के लिए दिल्ली शिफ्ट हुए।
1958-63 में दिल्ली प्रदेश जनसंघ में सचिव का पदभार संभाला।
अप्रैल 1970 में राज्यसभा में प्रवेश
1973- 1977 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला।
मार्च 1977 से जुलाई 1979 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।
लाल कृष्ण आडवाणी BJP के संस्थापक सदस्थ भी रहे।
1980-86 में भारतीय जनता पार्टी के महासचिव बनाए गए।
मई 1986 में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने।
3 मार्च 1988 को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बने।
1988 में सरकार में गृह मंत्री बने।
अक्टूबर 1999-मई 2004 तक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे।
2002-2004 तक उन्होंने देश के उप प्रधानमंत्री का पद भी संभाला।
2015 में लाल कृष्ण आडवाणी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 3 February 2024 at 16:42 IST