अपडेटेड 21 May 2025 at 21:37 IST
Lightning: चलती ट्रेन पर आंधी-तूफान के दौरान आकाशीय बिजली गिर जाए तो क्या होगा?
अगर किसी चलती हुई ट्रेन पर आकाशीय बिजली गिर जाए तो क्या होगा? इस दिलचस्प सवाल में हमें सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि ट्रेन की बाहरी बॉडी हमेशा लोहे या स्टील जैसी चालक धातुओं से बनी होती है, जबकि अंदरूनी हिस्सा गैर-धात्विक यानी इंसुलेटेड होता है।
भारत के कई हिस्सों में बीते कुछ दिनों से बारिश का सिलसिला जारी है। हालांकि अभी मानसून दूर है ये बारिश तो मौसमी बारिश है लेकिन तेज बारिश और बादलों के टकराने की वजह से कभी-कभी बिजली गिरती है जो भारी तबाही मचा देती है। आकाशीय बिजली, जिसे हम अक्सर एक चमकते हुए डरावनी रौशनी के रूप में देखते हैं, वास्तव में बेहद घातक होती है। इसकी ताकत इतनी ज्यादा होती है कि जिस पर यह गिरती है, उसे संभलने या भागने का कोई मौका नहीं मिलता। वह पल भर में जिंदगी से हमेशा के लिए जुदा हो जाता है। आज हम इसी खतरनाक लेकिन कम समझी गई प्राकृतिक घटना आकाशीय बिजली से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें साझा करने जा रहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
कल्पना कीजिए कि चलती हुई ट्रेन पर आकाशीय बिजली गिर जाए तो क्या होगा? यह एक डरावना विचार हो सकता है, लेकिन विज्ञान की भाषा में इसका जवाब दिलचस्प है। ट्रेनें आम तौर पर बिजली से चलती हैं और उनके ऊपर लगे पेंटोग्राफ (Pantograph) बिजली सप्लाई को संपर्क में रखते हैं। अगर आकाशीय बिजली ट्रेन पर गिरती है, तो ट्रेन का मेटलिक बॉडी उसे जमीन तक पहुंचाने का रास्ता बना सकती है बशर्ते उसके ग्राउंडिंग सिस्टम सही काम कर रहे हों। ऐसे मामलों में, ट्रेन के भीतर बैठे यात्रियों को आम तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन अगर बिजली नियंत्रण सिस्टम क्षतिग्रस्त हो जाए तो ट्रेन रुक सकती है या उसमें आग भी लग सकती है।
चलती ट्रेन पर बिजली गिर जाए तो ट्रेन में बैठे लोगों पर क्या असर होगा?
अगर किसी चलती हुई ट्रेन पर आकाशीय बिजली गिर जाए तो क्या होगा? इस दिलचस्प सवाल में हमें सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि ट्रेन की बाहरी बॉडी हमेशा लोहे या स्टील जैसी चालक धातुओं से बनी होती है, जबकि अंदरूनी हिस्सा गैर-धात्विक यानी इंसुलेटेड होता है। अब अगर किसी बारिश भरे दिन बिजली ट्रेन पर गिर भी जाए, तो वह सीधे यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचाती। बिजली को हमेशा ऐसा रास्ता चाहिए होता है जो सबसे कम रुकावट वाला हो यानी सुगम और छोटा रास्ता। और इस मामले में ट्रेन की मेटल बॉडी वही रास्ता बन जाती है। जब बिजली ट्रेन पर गिरती है, तो वह ट्रेन की स्टील बॉडी से होते हुए रेल की पटरियों तक पहुंचती है। और यहां एक और महत्वपूर्ण व्यवस्था काम आती है अर्थिंग डिवाइस। भारतीय रेलवे ने थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ट्रैक्स के साथ ऐसे अर्थिंग डिवाइस लगाए होते हैं, जो बिजली को पटरियों से सीधे जमीन में पहुंचा देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बिजली कभी भी ट्रेन के अंदर नहीं जाती, क्योंकि अंदर का हिस्सा बिजली के लिए एक अवरोधक होता है। यही वजह है कि ट्रेन में बैठे यात्रियों को न तो झटका लगता है और न ही कोई नुकसान होता है।
आकाशीय बिजली का कितना होता है वोल्टेज
क्या आप जानते हैं कि प्राकृतिक बिजली का वोल्टेज कितना होता है? अमेरिकी सरकार की वेबसाइट weather.gov के मुताबिक आकाशीय बिजली का वोल्टेज आम तौर पर 30 करोड़ वोल्ट और 30 हजार एम्पीयर होती है। इसकी ताकत इतनी होती है कि यह बड़े-बड़े पहाड़ों को चीर सकती है, दीवारें गिरा सकती है और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को तहस-नहस कर सकती है। प्राकृतिक बिजली एक अद्भुत लेकिन विनाशकारी शक्ति है। इसकी जानकारी और सतर्कता से ही हम खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं। बारिश के दौरान पेड़ों के नीचे खड़े होने, खुले मैदान में मोबाइल या धातु के सामान का इस्तेमाल करने से बचें। और हां, जब बिजली चमक रही हो, तो आकाश की सुंदरता को दूर से निहारें न कि उसका हिस्सा बनने की कोशिश करें। हमारे देश में संचालित होने वाली ट्रेनों के परिचालन के लिए 25 हजार वोल्ट की बिजली का इस्तेमाल किया जाता है अगर इस बिजली की चपेट में कोई शख्स आ जाए तो वो पलभर में जलकर राख हो जाता है। ऐसे में आकाशीय बिजली ट्रेनों में सप्लाई होने वाली इस बिजली की चपेट में यदि कोई व्यक्ति आ जाए तो वह पलभर में जलकर राख हो जाता है तो आकाशीय बिजली गिरने से क्या होगा आप समझ सकते हैं।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 21 May 2025 at 21:37 IST