अपडेटेड 18 February 2023 at 13:56 IST
Waqf Board: ‘वक्फ बोर्ड है तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं’, साध्वी प्रज्ञा ने की मांग
Waqf Board Property: इस्लामी कानून में, वक्फ संपत्ति स्थायी रूप से अल्लाह को समर्पित होती है। एक बार जब संपत्ति वक्फ हो जाती है तो फिर वो मालिक के पास वापस नहीं लौट सकती है।
Sadhvi Pragya on Waqf Board: इन दिनों वक्फ बोर्ड काफी चर्चा में है। भोपाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “वक्फ बोर्ड है तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं’? क्योंकि हमारे सनातनी देवताओं के मंदिर ट्रस्ट बन गए हैं और फिर वे सरकार के हाथों में चले जाते हैं। अब वे इससे मुक्त हो और मंदिरों और मठों में जो दान इकट्ठा होता है उसका उपयोग हिन्दुओं के विकास में, हिन्दू बच्चों की शिक्षा में, मन्दिरों के निर्माण में और सनातन धर्म की उन्नति में हो। इसलिए जरूरत पड़ने पर सनातन बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए।”
क्या आपको पता है विवादों में रहने वाला वक्फ बोर्ड कैसे काम करता है? कैसे वक्फ बोर्ड की संपत्ति लगातार बढ़ रही है? वक्फ बोर्ड का गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के अधीन किया था। इस्लाम में अल्लाह के लिए किया गया दान वक्फ कहलाता है और एक संपत्ति जो अल्लाह को समर्पित हो जाती है, हमेशा के लिए वक्फ के रूप में बनी रहती है। वक्फ बोर्ड के नियमों के अनुसार कोई भी संपत्ति जो लंबे समय से इस्लामिक मजहब के काम में इस्तेमाल हो रही है तो उसे भी वक्फ माना जाता है। वक्फ बोर्ड किसी कि भी संपत्ति को चाहे वह निजी हो, सोसाइटी की हो या फिर किसी भी ट्रस्ट की हो उसे अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है।
वक्फ पूर्ण रूप से एक मजहबी संस्था है यह भूमाफियाओं की तर्ज पर काम करती है। साल 2009 में रातों रात दिल्ली के एक फ्लाईओवर के ऊपर मस्जिद का निर्माण कर दिया जाता है और जब ये मामला सर्वोच्च न्यायालय के सामने आता है, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार सार्वजनिक स्थान पर कोई धार्मिक निर्माण नहीं होगा, लेकिन वक्फ बोर्ड सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता है और दिल्ली के फ्लाईओवर के ऊपर बनी मस्जिद 2010 में पंजीकृत पाई जाती है। यही नहीं साल 2018 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में दावा किया कि ताजमहल को शाहजहां ने वक्फ बोर्ड के नाम कर दिया था, जिस पर कोर्ट ने कहा था,’पहले शाहजहां के सिग्नेचर लेकर आएं’।
वक्फ बोर्ड ने भगवान की नगरी को भी नहीं छोड़ा, गुजरात में भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा जताया। इसी तरह से एक और उदाहरण है राजस्थान सरकार की जमीन का जहां रातों रात चारदीवार खड़ी कर दी जाती है और वक्फ उस जमीन को वक्फ बोर्ड के नाम पर पंजीकृत कर देता है। ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद जो आप अच्छे से जानते हैं जिसमें शिवलिंग मिला। इस जमीन पर भी वक्फ ने अपना दावा किया।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति
- साल 2009 में वक्फ बोर्ड के पास 4 लाख एकड़ की संपत्ति थी जो कि 2020 में बढ़कर 8 लाख एकड़ हो गई है।
- साल 2020 जुलाई तक कुल 6,59,877 संपत्तियां वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज हैं।
- राज्यों के वक्फ बोर्ड में पश्चिम बंगाल में 80 हजार, कर्नाटक, तमिलनाडू 53-53 हजार, केरल 42, पंजाब 36, तेलंगाना 28, राजस्थान 23, मध्य प्रदेश 24, महाराष्ट्र 20 और हरियाणा में 22 तो गुजरात में 21 हज़ार वक्फ संपतियां हैं।
- यूपी में वक्फ के पास 1.5 लाख से ज़्यादा संपतियां हैं।
- दिल्ली में वक्फ संपत्ति के वर्तमान मूल्य का अनुमान 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है जिसमें देशभर की करीब 8 लाख जमीन हैं।
- महाराष्ट्र की बात करें तो वक्फ के पास जो कुल भूमि है उसकी अनुमानित कीमत 93,418 करोड़ से अधिक है।
- साल 2019 के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल 1,22,839 वक्फ संपत्तियां हैं।
- देश भर में 49 से अधिक पंजीकृत वक्फ हैं।
वक्फ की संपत्तियां पूरे भारत में फैली हुई हैं, लेकिन कई राज्यों में वक्फ की संपत्तियों की जांच हुई ही नहीं है, अगर जांच हुई होती तो संप्पति के ये आंकड़े कई गुना ज्यादा होते, यही नहीं वक्फ ने इतनी ज्यादा संपतियों पर अपना कब्जा कर लिया है कि वो खुद इन संपतियों की देख रेख तक नहीं कर पा रहा और तो और वक्फ की मान्यता के अनुसार दान में दी गई जिन संपतियों का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक कार्यों में होना चाहिए उन संपतियों को वक्फ बोर्ड के लोग ही हड़प रहे हैं और भूमि को औने-पौने दामों में बेच देते हैं। जिस भूमि का इस्तेमाल धार्मिक स्कूल चलाने, कब्रिस्तान बनाने, मस्जिद बनाने या फिर शेल्टर होम बनाने के लिए होना चाहिए उन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड आय बढ़ाने के नाम पर कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाने के लिए बिल्डरों को लीज पर दे देते हैं।
कुछ सालों पहले पानीपत नगर निगम की लगभग आधा एकड़ भूमि को वक्फ बोर्ड ने दो दर्जन दुकानदारों को दे दिया और अब उनसे किराया वसूलते हैं। इसी तरह से मेरठ में 10 बीघा भूमि को शराब निर्माता विजय माल्या को बेच दिया गया जहां शराब की फैक्ट्री चलाई जाती है। इसी क्रम में हजरतगंज में वक्फ संपत्तियों का तो पता ही नहीं चल पा रहा है। यहां बहुत सी संपत्तियों पर वक्फ के लोगों ने ही कब्जा कर लिया तो कुछ आपसी मिलीभगत से बेच दी गईं। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ वक्फ संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से बेचने, खरीदने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
वक्फ बोर्ड को अपनी इस धांधली और घोटालों के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर पर कई बार कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा है जिसमें इस बोर्ड के खिलाफ कई केस कोर्ट में चल रहे हैं,उन्हीं केसों में से एक केस है राजस्थान सरकार की जमीन का, जिस पर वक्फ बोर्ड ने रातों रात चार दीवार खड़ी करके उसे वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया था। अब इसी केस की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अपना निर्णय दिया।
वक्फ एक्ट ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला’
इस्लामिक मान्यता के अनुसार इबादत के लिए सार्वजनिक तौर पर उपयोग में लाई गई जगह पर ही वक्फ अधिकार जता सकता है।
दान में दी गई संपत्ति पर ही वक्फ का अधिकार होगा जिसके दस्तावेज पर वक्फ का नाम होना चाहिए।
अगर वक्फ बोर्ड दस्तावेज नहीं देता है या फिर ये नहीं बताता है कि उसे ये सम्पति कहां से मिली तो उस संपत्ति पर वक्फ का अधिकार नहीं होगा।
भूमि या संपत्ति का मालिक देश छोड़कर जा चुका है या भाग चुका है तो वो संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम 2017’ के तहत भारत सरकार के अधीन मान ली जाएगी।
स्वतंत्रता से पूर्व हस्तांतरित की गई किसी भी भूमि या संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का कब्जा मान्य नहीं होगा और न ही उससे जुड़े दस्तावेज।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद सबसे सबसे बड़ा बदलाव ये होगा कि अब वक्फ बोर्ड की मनमानी पर कुछ अंकुश लग पाएगा। वक्फ बोर्डस ने मनमानी की तो अब आप इसकी शिकायत सिविल कोर्ट में कर सकते हैं जो अब से पहले सिर्फ ट्रिबिनूयल में ही कर सकते थे, यही नहीं आप इसकी शिकायत सीधे सरकार से भी कर सकते हैं।
Published By : Rashmi Agarwal
पब्लिश्ड 18 February 2023 at 13:46 IST