अपडेटेड 7 March 2025 at 08:54 IST

सुशासन के लिए राजकोषीय अनुशासन की आवश्यकता होती है: धनखड़

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि सुशासन के लिए राजकोषीय अनुशासन की आवश्यकता होती है।

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ | Image: Sansad TV

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि सुशासन के लिए राजकोषीय अनुशासन की आवश्यकता होती है, न कि लोकलुभावनवाद की।

‘नेतृत्व और शासन’ विषय पर पहले ‘मुरली देवड़ा स्मारक संवाद’ में उद्घाटन भाषण देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘लोकलुभावनवाद खराब अर्थशास्त्र है’। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘एक बार जब कोई नेता लोकलुभावनवाद से जुड़ जाता है, तो संकट से बाहर निकलना मुश्किल होता है।’’

उन्होंने राजनीतिक परिदृश्य में तुष्टीकरण की राजनीति और लोगों की आवाज को दबाने वाली रणनीतियों के उभरने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मुख्य उद्देश्य लोगों की भलाई, लोगों का सबसे बड़ा हित, लोगों का स्थायी हित होना चाहिए। लोगों को को खुद को सशक्त बनाने के लायक सक्षम बनाया जाए, न कि उन्हें क्षणिक रूप से सशक्त बनाएं क्योंकि इससे उनकी उत्पादकता प्रभावित होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर चुनावी वादों पर अत्यधिक खर्च किया जाता है तो राज्य की बुनियादी ढांचे में निवेश करने की क्षमता भी कम हो जाती है। यह विकास परिदृश्य के लिए सही नहीं है। लोकतंत्र में चुनाव महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका अंत नहीं।’’

धनखड़ ने सभी राजनीतिक दलों के नेतृत्व से इस प्रवृत्ति को लेकर आत्ममंथन करने का आह्वान किया, क्योंकि इस तरह के चुनावी वादे राज्य के पूंजीगत व्यय की कीमत पर पूरे किए जाएंगे।

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Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 7 March 2025 at 08:54 IST