अपडेटेड 28 February 2025 at 16:01 IST
भारत की बुनियाद सनातन धर्म में निहित है... बोले उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत की गहरी आध्यात्मिकता और प्राचीन सभ्यता को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को कहा कि देश की बुनियाद सनातन धर्म में निहित है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत की गहरी आध्यात्मिकता और प्राचीन सभ्यता को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को कहा कि देश की बुनियाद सनातन धर्म में निहित है। धनखड़ ने आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के अवसर पर यहां एकत्र लोगों से कहा कि अहिंसा, शांति और भाईचारे के अपने संदेश के जरिये लंबे समय से दुनिया का पथ प्रदर्शक रहा भारत एक दिन विश्व गुरु बनेगा।
उन्होंने कहा..
उन्होंने कहा, ‘‘सनातन का अर्थ है समावेशिता, सार्वभौमिक मूल्य, देशभक्ति। इसका अभिप्राय जाति, पंथ और आर्थिक विभाजन से ऊपर उठना भी है।’’ उन्होंने भारत की धरोहर का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘विश्व में (भारत को छोड़कर) किसी भी देश की संस्कृति 5,000 वर्ष पुरानी नहीं है। भारत विश्व का आध्यात्मिक केंद्र रहा है और हमें इस गति को बनाये रखना होगा।’’
धनखड़ ने 1,000-1,200 साल पहले नालंदा और तक्षशिला जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों पर हुए हमलों को लेकर भी अफसोस जताया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अकल्पनीय बर्बरता देखी, फिर भी हम उठ खड़े हुए। अब, भारत फिर से विकास और प्रगति के पथ पर है, जो आध्यात्मिक विकास के बिना संभव नहीं है।’’
धनखड़ ने यह भी कहा कि विश्व, भारत की आध्यात्मिकता और सभ्यता को श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, श्री चैतन्य और श्रील प्रभुपाद जैसी महान हस्तियों के कारण जानता है। उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल खुदीराम बोस और चितरंजन दास की जन्मभूमि है। यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भी जन्मभूमि है, जिनका मार्गदर्शन राज्य और देश दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है।’’
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 28 February 2025 at 16:01 IST