अपडेटेड 18 December 2025 at 17:53 IST

क्या है VB G Ram G बिल का फुल फॉर्म? जो लोकसभा से हुआ पास, इन वजहों से मनरेगा से है अलग, ऐसे तय किया नरेगा से यहां तक का सफर...

VB G Ram G Bill: लोकसभा में मनरेगा योजना की जगह लेने वाला VB-G RAM G बिल पास हो गया है, जिसके बाद ये चर्चाओं में बना है। आइए जानते हैं क्या है VB-G RAM G की फुल फॉर्म, बिल में क्या-क्या है प्रावधान और कैसे ये मनरेगा से अलग है?

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MGNREGA vs G Ram G | Image: Freepik

VB G Ram G Bill, 2025: भारी हंगामे के बीच मोदी सरकार ने लोकसभा में VB- G Ram G बिल को पास करा लिया है। नया कानून दो दशक पुराने मनरेगा (MGNREGA- Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) की जगह लेगा। बिल को लेकर लोकसभा में जोरदार हंगामा भी हुआ। विपक्ष ने बिल को लेकर सरकार पर कई आरोप लगाए। इस बीच VB- G Ram G बिल चर्चाओं में बना हुआ है। ऐसे में जानते हैं कि VB- G Ram G का फुल फॉर्म आखिर क्या है और बिल में क्या-क्या नए प्रावधान है?

VB- G RAM G का फुल फॉर्म

VB-G RAM G बिल (2025) का पूरा नाम 'विकसित भारत - गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' है। मोदी सरकार ने इसे 16 दिसंबर 2025 को लोकसभा में पेश किया और 18 दिसंबर 2025 को इसे पारित कर दिया गया। बिल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका को मजबूत करना है, जो "विकसित भारत 2047" के विजन से भी जुड़ा है।

मनरेगा और जी राम जी बिल में है ये अंतर…

VB-G RAM G बिल भी मनरेगा की ही तरह रोजगार की गारंटी देता है। हालांकि, इसमें कुछ बदलाव भी किए गए है। जैसे कि नए विधेयक में रोजगार के गारंटीड दिनों को बढ़ाने का प्रावधान है। साथ ही साथ इसमें मजदूरी भुगतान की जिम्मेदारी केंद्र और राज्यों के बीच साझा करने की बात कही है।

बढ़ाए गए रोजगार के दिन- बिल के प्रावधान के मुताबिक ग्रामीण परिवारों को अब साल में 125 दिन के गारंटीकृत रोजगार का अधिकार मिलेगा, जो मनरेगा में 100 दिन था।

साप्ताहिक भुगतान- मजदूरी का भुगतान अब हर हफ्ते यानी साप्ताहिक किया जाएगा। किसी भी हाल में यह काम पूरा होने के 15 दिनों से ज्यादा समय तक इसमें देरी नहीं की जा सकती।

फंडिंग का नया मॉडल- अब तक मनरेगा में मजदूरी का पूरा 100% खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, लेकिन नए बिल में इसमें बदलाव किया गया है। केंद्र और राज्यों के बीच खर्च का बंटवारा अब 60:40 के अनुपात में होगा (उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10)।

सीजनल पॉज- इस बिल में खेती के पीक सीजन में काम पर ब्रेक देने का भी प्रावधान है। कृषि कार्यों के लिए मजदूरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बुवाई और कटाई के पीक सीजन के दौरान साल में अधिकतम 60 दिनों के लिए काम को रोका जा सकेगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान- बिल का मकसद रोजगार के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार करना है, जिसके लिए चार प्रमुख क्षेत्रों पर काम होगा- जल सुरक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचा, आजीविका संबंधित बुनियादी ढांचा और जलवायु अनुकूल कार्य।

पारदर्शिता और तकनीक- बिल में आधार-आधारित डिजिटल भुगतान, GPS के जरिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग और हर 6 महीने में सोशल ऑडिट का अनिवार्य प्रावधान है।

शुरुआत में नरेगा रखा गया था नाम

रोजगार की गारंटी देने वाली इस योजना की शुरुआत साल 2005 में UPA सरकार के समय हुई थी। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने 7 सितंबर 2005 को संसद में कानून पास कराया और फरवरी 2006 से ये पूरे देश में लागू हो गया। योजना की शुरुआत कुछ चुनिंदा जिलों से की गई, जो धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गई। इस योजना का मुख्य मकसद गांवों में गरीबी कम करने के साथ बेरोजगारी को दूर करना और लोगों को गांव में ही सम्मानजनक काम और कमाई देना था।

शुरुआत में इस योजना का नाम NREGA (नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट- National Rural Employment Guarantee Act) रखा गया था। UPA सरकार ने ही साल 2009 में इसके नाम में बदलाव किया था। सरकार ने महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के विचारों को जोड़ने के लिए इसमें उनका भी शामिल किया।। इसके बाद यह महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) यानी मनरेगा कहलाई जाने लगी।

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 18 December 2025 at 17:53 IST