अपडेटेड 16 February 2025 at 09:17 IST
योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में किया काशी-तमिल संगमम् के तीसरे संस्करण का उद्घाटन
UP News: सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में काशी-तमिल संगमम् के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया।
UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को वाराणसी में काशी-तमिल संगमम के तीसरे संस्करण का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना आदि शंकराचार्य से की और कहा कि देश को जोड़ने का जो काम कभी शंकराचार्य ने किया था वही आज मोदी काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम के जरिये कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने 'काशी-तमिल संगमम—3.0' का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा से वाराणसी में लगातार तीसरी बार काशी-तमिल संगमम का आयोजन हो रहा है।
उन्होंने मोदी की तुलना आदि शंकराचार्य से करते हुए कहा, ''देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का कार्य जो कभी आदि शंकराचार्य ने किया था, वही कार्य आज के परिवेश में प्रधानमंत्री जी काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम के माध्यम से कर रहे हैं। उनकी एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार हो रही है।''
आदित्यनाथ ने अपने संबोधन की शुरुआत तमिल भाषा में अतिथियों के स्वागत से की।
इसके पूर्व, मुख्यमंत्री ने वाराणसी में 'नमो घाट' पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान तथा केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल. मुरुगन की उपस्थिति में काशी-तमिल संगमम-3.0 कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उन्होंने काशी-तमिल संगमम में आए मेहमानों का काशीवासियों, प्रदेशवासियों तथा प्रधानमंत्री की ओर से स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने नमो घाट पर महर्षि अगस्त्य के जीवन चरित्र पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार काशी-तमिल संगमम नए भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए महर्षि अगस्त्य को समर्पित है। इस बार की थीम 4-एस पर आधारित है, जिनमें भारत की संत परम्परा, साइंटिस्ट (वैज्ञानिक) , सोशल रिफॉर्मर (समाज सुधारक) और स्टूडेन्ट (छात्र) शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ''भारत की संत परम्परा आध्यात्मिक ज्ञान की प्रतीक है। हमारे वैज्ञानिक लौकिक जीवन के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं। सोशल रिफॉर्मर समाज की विकृति को दूर करने में अपना योगदान देते हैं तथा हमारे विद्यार्थी नये भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप देने का कार्य कर रहे हैं। इन चारों को मिलाकर और महर्षि अगस्त्य को ध्यान में रखकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा रहा है।''
आदित्यनाथ ने कहा कि महर्षि अगस्त्य उत्तर भारत व दक्षिण भारत को जोड़ने वाले ऋषि थे। वह संस्कृत व तमिल भाषा को जोड़ने का सशक्त माध्यम रहे हैं। महर्षि अगस्त्य ज्ञान के विराट स्वरूप थे। श्रीराम तथा रावण युद्ध से सम्बन्धित ’आदित्य हृदय स्त्रोत’ देने वाले महर्षि अगस्त्य हैं। उनका सिद्ध चिकित्सा पद्धति का ज्ञान हम सबका मार्गदर्शन करता है। काशी-तमिल संगमम में महर्षि अगस्त्य की सिद्ध चिकित्सा पद्धति से लोगों को जुड़ने का मौका मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी प्राचीन काल से देश की आध्यात्मिक नगरी के साथ-साथ ज्ञान की नगरी के रूप में विख्यात रही है। ऐसे ही तमिल साहित्य दुनिया के प्राचीनतम साहित्यों में से एक है। शिक्षक, लेखक, उद्योग व व्यापार जगत से जुड़े लोग, मंदिर की व्यवस्था करने वाले तथा समाज जीवन से जुड़े विभिन्न लोग इस बार काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि इस बार काशी-तमिल संगमम अगस्त्य ऋषि पर केन्द्रित है। अगस्त्य ऋषि की जयन्ती राष्ट्रीय सिद्ध दिवस के रूप में मनायी जाती है। संस्कृत भाषा की तरह तमिल भाषा भी देश की सबसे पुरानी भाषा है। इस बार केन्द्रीय बजट में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से देश के महान ग्रन्थों को संरक्षित करने के लिए प्रावधान किया गया है।'
प्रधान ने मुख्यमंत्री को भव्य एवं दिव्य महाकुंभ के सुव्यवस्थित आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण व संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन हुआ, जिसमें तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने प्रतिभाग कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
ज्ञातव्य है कि काशी और तमिलनाडु के प्रमुख शहरों के बीच प्राचीन काल से चले आ रहे कला-सांस्कृतिक जुड़ाव को जीवंत रखने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम का आयोजन पिछले दो वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में किया जा रहा है। इस वर्ष इसका आयोजन 15 से 24 फरवरी, 2025 तक किया जा रहा है।
काशी-तमिल संगमम एक सांस्कृतिक उत्सव है, जिसका उद्देश्य उत्तर भारत और दक्षिण भारत की विविध पारम्परिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को एक साथ लाना है। इसमें तमिलनाडु के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। इस संगमम का आयोजन केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 16 February 2025 at 09:17 IST