अपडेटेड 13 September 2024 at 16:47 IST

अखिलेश और मायावती में तकरार के बीच सतीश मिश्रा की एंट्री, बोले- जब मैंने फोन कराया तो...

सतीश चंद्र मिश्रा कहते हैं कि 2019 के लोकसभा आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन टूटने की वजह सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद हैं।

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अखिलेश और मायावती में तकरार के बीच सतीश मिश्रा की एंट्री हुई। | Image: Facebook

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव फोन उठाने को लेकर आमने-सामने हैं। जब फोन मायावती ने बीते दिन आरोप लगाए कि अखिलेश यादव उनका फोन नहीं उठाते थे तो समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भी पलटवार करने में देर नहीं की। इसी के साथ दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच सियासी तकरार शुरू हो गई। अब इसमें सतीश चंद्र मिश्रा ने भी एंट्री ले ली है। मायावती के बाद बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्रा भी दावा कर रहे हैं कि अखिलेश यादव ने उनके फोन का भी जवाब नहीं दिया था।

असल में दोनों राजनीतिक पार्टियों के बीच 2024 के चुनाव से पहले गठबंधन टूटने और इस साल आम चुनावों में दोबारा गठबंधन ना होने लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि इसके पीछे फोन वाली सियासत है, जिसमें सतीश चंद्र मिश्रा ने भी एंट्री ली है। सतीश चंद्र मिश्रा कह रहे हैं कि 'मायावती ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को फोन करके हौसला देने की कोशिश की थी, लेकिन वो फोन पर नहीं आए। और इस सबका परिणाम ये रहा कि बीएसपी को गठबंधन तोड़ना पड़ा।'

BSP सिर्फ वोट ट्रांसफर करवाने के लिए नहीं- सतीश चंद्र

पूर्व राज्यसभा सांसद और बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा कहते हैं, '2019 के लोकसभा आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन टूटने की वजह सपा मुखिया खुद हैं, जो मायावती ने अपनी पार्टी की ओर से जारी की गई पुस्तक में लिखा है।' वो दावा करते हैं कि, 'बहन जी (मायावती) के फोन करने के पहले मेरे फोन करने पर सपा प्रमुख फोन पर नहीं आए, फिर पार्टी कार्यालय से फोन गया और तब फिर भी फोन पर सपा प्रमुख से बात नहीं कराई गई।'

उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख का ये व्यवहार समाज के दलितों, वंचितों और शोषितों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला था। बीएसपी सिर्फ वोट ट्रांसफर करवाने के लिए नहीं है, बल्कि देश की एक मात्र ऐसी पार्टी है जो सर्व समाज के हितों में विचार और काम करती है। जो लोग इस संबंध में बहन जी (मायावती) पर टिप्पणी कर रहे वो पहले अपना व्यवहार याद कर ले।'

मायावती और अखिलेश आमने-सामने आए

मायावती ने पिछले दिन गठबंधन के टूटने के कारण बताते हुए अखिलेश यादव को दोषी बताया। मायावती ने दावा किया कि अखिलेश ने बसपा नेताओं के फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया। उन्होंने कहा, '2019 चुनाव के नतीजों में बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें मिलीं, जिसके चलते गठबंधन बनाए रखना तो दूर की बात थी, अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के फोन उठाने बंद कर दिए थे। इसके चलते पार्टी के सम्मान को बचाने के लिए हमें सपा से गठबंधन तोड़ना पड़ा।'

मायावती के आरोपों पर अखिलेश यादव कहते हैं कि किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि गठबंधन टूट रहा है। अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'जब गठबंधन टूटा, तब मैं आजमगढ़ में एक रैली को संबोधित कर रहा था और वहां सपा और बसपा दोनों के कार्यकर्ता मौजूद थे। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि गठबंधन टूट रहा है। मैंने खुद (बसपा प्रमुख) से फोन करके पूछा था कि गठबंधन क्यों टूट रहा है। रैली के बाद मीडिया के सवालों के लिए खुद को तैयार करने के लिए मुझे जवाब चाहिए था।'

इसके बाद अखिलेश यादव पर भी मायावती ने पलटवार किया और कहा कि 'लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 और SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था, जिसको लेकर उनके की तरफ से अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित और विश्वसनीय? सोचने वाली बात।'

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 13 September 2024 at 14:31 IST