अपडेटेड 23 February 2024 at 17:46 IST

EXCLUSIVE/ जब राजा भैया पर हुई थी मुलायम सिंह यादव की मेहरबानी, 10 महीने बाद देख पाए थे जुड़वा बेटों का मुंह

UP Politics : साल 2002 में बीजेपी और बसपा के गठबंधन की सरकार के दौरान जेल में होने की वजह से राजा भैया अपने इन दोनों जुड़वां बच्चों के मुंह तक नहीं देख पाए थे।

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राजा भैया के साथ मुलायम सिंह यादव | Image: facebook-Raja-Bhaiya-Youth-Brigade

SP Release All Case of POTA on Raja Bhaiya in 2003 : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की भदरी रियासत केयुवराज रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की सियासी पारी साल 1993 से शुरू होती है। अभी उनकी सियासत को एक दशक भी नहीं बीता था कि 2 नवंबर साल 2002 की रात को लगभग 2:30 बजे यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। ये वो समय था जब राजा भैया जेल में थे और उनकी पत्नी भानवी सिंह ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। बीजेपी और बसपा के गठबंधन की सरकार के दौरान जेल में होने की वजह से राजा भैया अपने इन दोनों जुड़वां बच्चों के मुंह तक नहीं देख पाए थे।

इसी बीच 11 महीनों तक राजा भैया जेल में रहे और मायावती सरकार ने उन पर पोटा (POTA) लगाया था। इस बीच प्रदेश की सियासत में भारी भूचाल आया और तमाम सियासी उठा पटक के बाद 29 अगस्त 2003 को मुलायम सिंह यादव तीसरी बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली। इस दौरान मुलायम सिंह यादव को कांग्रेस के 25 विधायकों का साथ, राष्ट्रीय लोकदल के अजीत सिंह ने 14 विधायकों का समर्थन देकर सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार बनवाई थी।

SP के सत्ता में आते ही राजा भैया से हटा POTA

मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के महज कुछ ही घंटे के बाद राजा भैया से पोटा के तहत दायर किए गए सभी मुकदमें राज्य सरकार द्वारा वापस ले लिए गए। इतना ही नहीं सपा सुप्रीमो ने राजा भैया को खाद्य मंत्री का पद भी दिया था। इसके बाद राजा भैया ने अपने जुड़वां बच्चों के पैदा होने के 10 महीने बाद उनके मुंह देखे थे। पोटा एक्ट हटाए जाने के बाद राजा भैया को जेल से सीधे लखनऊ के सिविल अस्पताल में भेजा गया था जहां रास्ते में उन्होंने पहली बार अपने बेटों के मुंह देखे थे।  

ऐसे हुई थी UP में सियासी उठापटक

साल 2002 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 143 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। केंद्र में एनडीए की सरकार थी। बसपा को 98 सीटें तो वहीं बीजेपी को 88 सीटें इस चुनाव में  मिलीं थी। कुल मिलाकर इस चुनाव का परिणाम हंग असेंबली रहा। बाद में बीजेपी ने 98 सीटों वाली बसपा सरकार को समर्थन दिया और मायावती को मुख्यमंत्री बनाया गया। अभी कुछ ही महीने मायावती ने सरकार चलाई थी कि इस बीच उनका विरोध होने लगा और 20 विधायकों, जिसमें राजा भैया भी शामिल थे ने मिलकर तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकान्त शास्त्री से मिलकर मायावती सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी। जिसके बाद मायावती ने राजा भैया को गिरफ्तार करवा लिया।

BJP से खटास के बाद मायावती ने दिया था इस्तीफा

राजा भैया की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी और मायावती के संबंधों में भी खटास आ गई। बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार ने मायावती से राजा भैया पर पोटा हटाए जाने की मांग की लेकिन मायावती ने इससे इनकार कर दिया था। मायावती लगातार बीजेपी पर भी हमलावर होने लगी थीं और उसी दौरान ताज कॉरीडोर को लेकर मायावती ने तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जगमोहन पर भी सवाल उठाए थे। इसके बाद बीएसपी और बीजेपी के बीच संबंध और भी खराब हो गए। आखिरकार 26 अगस्त 2003 को मायावती ने विधान सभा को भंग करने की सिफारिश करते हुए राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 23 February 2024 at 17:38 IST