अपडेटेड 31 March 2024 at 10:30 IST

बुलंदी और फिर बेबसी...अंतिम दिनों में कुरकुरे के लिए तरस गया माफिया मुख्तार अंसारी! INSIDE STORY

वक्त की एक खास बात होती है कि वो बदलता जरूर है। तो बदला और मुख्तार के बुरे दिन शुरू हो गए। उसकी बुलंदी इस कदर बेबसी में बदली। Mukhtar Ansari Untold Story

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बुलंदी और फिर बेबसी...अंतिम दिनों में कुरकुरे के लिए तरस गया माफिया मुख्तार अंसारी! INSIDE STORY | Image: Facebook

Mukhtar Ansari Untold Story: माफिया मुख्तार अंसारी अब अतीत हो चुका है। बांदा जेल (Mukhtar Ansari Death) में दिल का दौरा पड़ने से मौत के बाद शनिवार को गाजीपुर में उसे सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। एक वक्त था जब पूरे यूपी में मुख्तार की तूती बोलती थी। आतंक ऐसा था कि लोग थर थर कांपते थे।

वो जेल में हो या बाहर, जब चाहे किसी को उठा लेता या मौत की नींद सुला देता था। लेकिन वक्त की एक खास बात होती है कि वो बदलता जरूर है। तो बदला और मुख्तार के बुरे दिन शुरू हो गए। उसकी बुलंदी इस कदर बेबसी में बदली कि कभी जेल में फिश पार्टी करने वाला माफिया 10 रुपए के कुरकुरे के लिए तरस गया!

'जज साहब मुझे फल और कुरकुरे चाहिए'

हथियार लहराते और मूछों पर ताव देते मुख्तार अंसारी का वो सीन कौन भूल सकता है। साल 2005 में हुए दंगे में जब पूरा मऊ (Mau) कर्फ्यू की जद में था तो मुख्‍तार अपने लश्‍कर के साथ सिस्‍टम को चुनौती देते पूरे शहर में खुली जीप में घूम रहा था। उसने जेल में रहते हुए कई लोगों को मौत की नींद सुला दी। लेकिन अपने आखिरी दिनों में उसकी आंखों की नींद गायब हो गई थी।

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वो हर वक्त बेचैन रहता था। परिवार से मिलने और मन का खाना पाने के लिए तड़पता था। उसके अरमान जेल की ऊंची दीवारों के नीचे दफन हो गए थे। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एमपी-एमएलए कोर्ट (ML-MLA Court) में पेशी के दौरान मुख्तार ने जज से कुरकुरे की मांग की थी। MP-MLA कोर्ट में जज कमल कांत श्रीवास्‍तव के सामने मुख्तार ने कहा कि वो जेल के खाने से ऊब चुका है। उसे खाने में फल और कुरकुरे भिजवाए जाएं। जज ने उसकी मांग पूरी कर दी। अगली सुनवाई से पहले उसके पास केला और आम भेज दिया गया था लेकिन जेल मैन्‍यूअल के चलते कुरकुरे नहीं भेजा गया।

योगी सरकार ने मुख्तार को बेबस कर दिया

यूपी में योगी सरकार (Cm Yogi )बनने के बाद से माफिया मुख्तार की बुलंदी बेबसी में बदल गई। पंजाब जेल से लाकर उसे बांदा जेल में बंद कर दिया गया। इसके बाद उसके गुनाहों का हिसाब शुरू हुआ। बार-बार अपनी बीमारी का हवाला देकर जमानत पर जेल से बाहर आना चाहता था। लेकिन उसकी अजीम गुनाहों ने उसे कभी सलाखों से बाहर नहीं आने दिया और जेल में ही उसकी मौत हो गई।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 31 March 2024 at 10:30 IST